दिल्ली ब्लास्ट में शामिल डॉक्टरों का पंजीकरण रद्द, चिकित्सा पेशे से निष्कासित
दिल्ली में आतंकवादी गतिविधियों का बड़ा खुलासा
नई दिल्ली : दिल्ली में हुए ब्लास्ट में शामिल चार चिकित्सकों, डॉ. मुजफ्फर अहमद, डॉ. अदील अहमद राठेर, डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद, को अब चिकित्सा प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं होगी। नेशनल मेडिकल कमीशन ने इनके नाम अपने रजिस्टर से हटा दिए हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि ये डॉक्टर अगले आदेश तक मरीजों का इलाज नहीं कर सकते और चिकित्सा क्षेत्र में किसी भी पद पर कार्य नहीं कर सकते।
दिल्ली ब्लास्ट में हुईं 13 मौतें
दिल्ली ब्लास्ट में दोषी पाए जाने के बाद ये डॉक्टर कभी भी चिकित्सा पेशे में वापस नहीं आ सकेंगे। 10 नवंबर को 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद होने के बाद, लाल किले के पास हुए कार विस्फोट में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें ये डॉक्टर भी शामिल थे। इस हमले में अब तक 13 लोगों की जान जा चुकी है।
एनएमसी का नोटिस
नेशनल मेडिकल कमीशन ने एक सार्वजनिक नोटिस में कहा कि जम्मू-कश्मीर मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत ये डॉक्टर जांच एजेंसियों द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्यों के आधार पर इस मामले में शामिल पाए गए हैं। आयोग ने कहा कि इस प्रकार का आचरण चिकित्सा पेशे के नैतिक मानकों और सार्वजनिक विश्वास के खिलाफ है। यह मामला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पेशेवर आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता के नियमों के अंतर्गत आता है।
पंजीकरण रद्द करने का आदेश
जम्मू-कश्मीर मेडिकल काउंसिल ने इन डॉक्टरों का पंजीकरण रद्द करने का आदेश दिया और निर्देश दिया कि इनके नाम राष्ट्रीय मेडिकल रजिस्टर से तुरंत हटाए जाएं। इसके परिणामस्वरूप, ये डॉक्टर अगले आदेश तक चिकित्सा पेशे का अभ्यास नहीं कर सकेंगे।
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का खुलासा
10 नवंबर को फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय में डॉ. मुजम्मिल के किराए के मकान से 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ। इसी विश्वविद्यालय के आसपास कुल 2,900 किलोग्राम विस्फोटक मिला और एक 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' का भंडाफोड़ हुआ। डॉ. मुजफ्फर अहमद अगस्त में भारत से भाग गया था और माना जा रहा है कि वह अफगानिस्तान में है।
अन्य डॉक्टरों की गिरफ्तारी
डॉ. अदील राठेर को 7 नवंबर को सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया। उसके लॉकर से एक एके-56 राइफल और अन्य गोला-बारूद बरामद हुए। डॉ. शाहीन सईद, जो लखनऊ की एक महिला डॉक्टर हैं, इस साजिश की पूरी जानकारी रखती थीं और विस्फोट की योजना में शामिल थीं। जांच एजेंसियां इन डॉक्टरों के पूरे नेटवर्क की गहन जांच कर रही हैं।
चिकित्सा पेशे पर दाग
यह मामला भारतीय चिकित्सा पेशे के लिए एक गंभीर चेतावनी है। डॉक्टरों की भूमिका और उनकी व्हाइट कॉलर साजिश ने चिकित्सा पेशे की नैतिकता और जनता के विश्वास को गंभीर झटका दिया है। नेशनल मेडिकल कमीशन ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए पंजीकरण रद्द कर डॉक्टरों को चिकित्सा पेशे से निष्कासित किया है।