दिल्ली में अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर जांच का शिकंजा, दो एफआईआर दर्ज
अल-फलाह यूनिवर्सिटी की जांच में नया मोड़
नई दिल्ली। दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के निकट हुए बम धमाके की जांच के चलते अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर से जांच एजेंसियों के ध्यान में आ गई है। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इस विश्वविद्यालय के खिलाफ दो अलग-अलग एफआईआर (FIR) दर्ज की हैं। क्राइम ब्रांच की एक टीम ने ओखला स्थित इस विश्वविद्यालय के कार्यालय का दौरा किया। इसके साथ ही, दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की मांग की है। यह मामला विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा की गई समीक्षाओं के बाद सामने आया है।
इन समीक्षाओं में विश्वविद्यालय में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ था। पहली एफआईआर धारा 12 के उल्लंघन के लिए दर्ज की गई है, जबकि दूसरी एफआईआर विश्वविद्यालय द्वारा कथित रूप से झूठे एक्रेडिटेशन दावों से संबंधित है।
दिल्ली धमाके से जुड़े अल-फलाह यूनिवर्सिटी के तार
दिल्ली में हुए बम धमाके, फरीदाबाद में 2900 किलो से अधिक विस्फोटक और अन्य हथियारों की बरामदगी के मामले में सफेदपोश आतंकियों के मॉड्यूल के तार अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं। इस मामले के उजागर होने के बाद अब विश्वविद्यालय के बैंक खातों और फंडिंग की जांच भी जल्द शुरू की जाएगी। आर्थिक अपराध शाखा और ईडी (ED) इन खातों और उनमें आने वाली फंडिंग की जांच करेंगे।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खातों में फंडिंग की भी होगी जांच
एक आधिकारिक सूत्र के अनुसार, मामले के सामने आने के बाद से विश्वविद्यालय प्रबंधन सतर्क हो गया है। विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को फीस और अन्य चार्ज जमा करने से मना कर दिया गया है। छात्रों को सूचित किया गया है कि वे किसी भी प्रकार की ऑनलाइन ट्रांजेक्शन विश्वविद्यालय के बैंक खाते में न करें। प्रबंधन ने बताया कि कुछ समस्याओं के कारण यह रोक लगाई गई है और जल्द ही नए निर्देश दिए जाएंगे।
खुफिया विभाग के एक आधिकारिक सूत्र के अनुसार, अल-फलाह यूनिवर्सिटी में जम्मू कश्मीर के छात्रों की संख्या सबसे अधिक है। चर्चा है कि खाड़ी देशों से यहां फंडिंग आती है, जिसके चलते जम्मू कश्मीर के कई छात्र यहां पढ़ाई कर रहे हैं। यह कितना सही है, यह जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। इसके लिए विश्वविद्यालय के खातों की जांच करना आवश्यक है, ताकि यह पता चल सके कि फंडिंग कहां से आ रही है और क्या इसका उपयोग देश विरोधी गतिविधियों के लिए तो नहीं किया जा रहा है।