दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर नए नियम का विवाद बढ़ा
पुरानी गाड़ियों को मिलेगा 1 नवंबर से पेट्रोल नहीं
पुरानी गाड़ियों पर नया नियम: दिल्ली में एक नवंबर से पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल नहीं मिलेगा, जिससे विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आम आदमी पार्टी के मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार जनता से लगातार झूठ बोल रही है और अब वह अपने ही झूठ में फंस गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा अब अपने झूठ को छुपाने के लिए और झूठ बोल रही है। सौरभ ने बताया कि 1 मार्च को भाजपा के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने मीडिया को बताया था कि 30 मार्च से पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल नहीं दिया जाएगा।
हालांकि, सरकार की तैयारियों की कमी के कारण इस तारीख को बढ़ाकर 30 जून कर दिया गया।
'सरकार का जमकर विरोध'
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली की जनता और भाजपा समर्थकों ने इस फैसले का विरोध किया है। लोगों ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई और सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए प्रेस वार्ता की। जब विरोध बढ़ा, तो भाजपा ने पलटी मारते हुए कहा कि यह फैसला अदालत और सीएक्यूएम का है। लेकिन सौरभ ने इसे झूठ करार देते हुए कहा कि भाजपा की दिल्ली सरकार का असली चेहरा अब सबके सामने आ चुका है। उन्होंने बताया कि सीएक्यूएम द्वारा भेजी गई चिट्ठी 23 अप्रैल की है, जबकि भाजपा के मंत्री ने 1 मार्च को ही यह जानकारी दी थी।
'भाजपा सरकार के झूठ का पर्दाफाश'
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा इस मामले में दोहरा खेल खेल रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा की दिल्ली सरकार ने जनता को एक बात बताई और सीएक्यूएम को दूसरी बात। उन्होंने बताया कि भाजपा अब कह रही है कि पुरानी गाड़ियाँ प्रदूषण नहीं फैलातीं, जबकि उपराज्यपाल भी इस संबंध में चिट्ठी लिख रहे हैं। यह सब केवल जनता को भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीएक्यूएम को भेजी गई चिट्ठी में दिल्ली सरकार ने लिखा है कि वे इस फैसले से सहमत हैं। इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने पड़ोसी शहरों में भी पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल न देने का सुझाव दिया है।
'मुख्यमंत्री से सवाल'
सौरभ भारद्वाज ने भाजपा की दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से सवाल किया कि जब भाजपा ने सीएक्यूएम को लिखित में सहमति दी है, तो अब सुप्रीम कोर्ट में जाकर अपना स्टैंड कैसे बदल सकती है? उन्होंने कहा कि यह बयान केवल जनता को फिर से बेवकूफ बनाने की कोशिश है। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को इस फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लाना चाहिए, ताकि दो करोड़ लोगों पर लटक रही तलवार हट सके।
सौरभ ने आरोप लगाया कि भाजपा की दिल्ली सरकार का यह फैसला कार उत्पादक कंपनियों के साथ सांठ-गांठ को दर्शाता है, जिससे लोगों को नई गाड़ियाँ खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है।