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दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति: एक्यूआई में सुधार, फिर भी खतरे की घंटी

दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, हालाँकि एक्यूआई में मामूली सुधार हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने चेतावनी दी है कि हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच सकती है। कई क्षेत्रों में एक्यूआई 350 के ऊपर दर्ज किया गया है, जिससे सांस के रोगियों को परेशानी हो सकती है। प्रदूषण एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है। जानें इस विषय में और क्या हो रहा है।
 

दिल्ली की हवा में प्रदूषण का खतरा


एक्यूआई में मामूली सुधार, फिर भी सांस लेने के लिए खतरनाक है हवा


नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार चिंताजनक बनी हुई है। रविवार की तुलना में सोमवार को एक्यूआई में थोड़ी सुधार देखने को मिली, लेकिन यह अभी भी स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है। दिल्ली के आसमान में स्मॉग की परत बनी हुई है, जिससे वाहन चालकों और आम नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने चेतावनी दी है कि आज शाम तक हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच सकती है।


इस स्थिति के कारण सांस के रोगियों को अधिक परेशानी हो सकती है, और लोगों को आंखों में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सीपीसीबी के अनुसार, रविवार को हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 15 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बह रही थी। अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई 2100 मीटर रही, जबकि वेंटिलेशन इंडेक्स 15200 मीटर प्रति वर्ग सेकंड दर्ज किया गया। दोपहर तीन बजे हवा में पीएम10 की मात्रा 273.4 और पीएम2.5 153.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पाई गई।


प्रदूषण के सबसे प्रभावित क्षेत्र

इन एरिया में सबसे ज्यादा है प्रदूषण की मात्रा


सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा की गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई। वजीरपुर में एक्यूआई 380, विवेक विहार में 402, आरके पुरम में 401, रोहिणी में 396, अशोक विहार में 350, आनंद विहार में 362, अलीपुर में 362, बवाना में 369 और जहांगीरपुरी में 373 जैसे आंकड़े दर्ज किए गए। दीपावली के बाद से कई क्षेत्रों में एक्यूआई खराब और बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है, जबकि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान-2 (ग्रेप-2) के प्रतिबंध अभी भी लागू हैं।


राजनीतिक मुद्दा बनता प्रदूषण

वायु प्रदूषण बन रहा राजनीतिक मुद्दा


दिल्ली में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो पिछले कई वर्षों से चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा रहा है। हर राजनीतिक पार्टी चुनाव के दौरान इस समस्या को हल करने का वादा करती है, लेकिन चुनाव के बाद यह केवल एक वादा बनकर रह जाता है। कोई भी सरकार इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाल पाई है।