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दिल्ली में बसों की कमी से बढ़ रही यातायात समस्याएं

दिल्ली में बसों की संख्या में कमी से यातायात व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। पिछले डेढ़ साल में 2400 से अधिक पुरानी बसें हटाई गई हैं, लेकिन नई बसों की कमी से यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जानें इस स्थिति का क्या असर हो रहा है और भविष्य में क्या संभावनाएं हैं।
 

बसों की संख्या में कमी का संकट


दिल्ली सरकार द्वारा पुरानी बसों का हटाया जाना


दिल्ली में मेट्रो ने यातायात व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन परिवहन बसें अभी भी इसकी रीढ़ हैं। हाल के समय में, दिल्ली सरकार ने पुरानी बसों को सड़कों से हटाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इसका उद्देश्य न केवल यात्रियों को सुरक्षित यात्रा प्रदान करना है, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखना है। हालांकि, नई बसों की कमी के कारण यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।


डेढ़ साल में हटाई गई बसों की संख्या


पिछले डेढ़ साल में, दिल्ली की सड़कों से 2400 से अधिक पुरानी बसें हटा दी गई हैं, लेकिन नई बसों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई है। मार्च तक 1680 बसें और हटने वाली हैं। यदि इनकी जगह नई बसें नहीं लाई गईं, तो सार्वजनिक परिवहन की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। जनवरी 2024 में दिल्ली में लगभग 8240 बसें थीं, जिनमें 6940 सीएनजी और 1300 इलेक्ट्रिक बसें शामिल थीं। जुलाई 2025 तक, यह संख्या घटकर 5835 रह गई है।


अनुबंध समाप्ति का प्रभाव


15 जुलाई 2025 को, दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टीमॉडल ट्रांजिट सिस्टम के तहत 533 सीएनजी बसों का अनुबंध समाप्त हो गया। इसके परिणामस्वरूप, 16 जुलाई से ये बसें सड़कों से हटा दी गईं। जुलाई के अंत तक, दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की 452 पुरानी बसें भी हटाई जा सकती हैं। इस प्रकार, जुलाई में लगभग 985 बसें परिवहन व्यवस्था से बाहर हो रही हैं।