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दिल्ली में मानसून की बारिश में कमी: क्या हैं इसके कारण?

इस वर्ष दिल्ली में मानसून की बारिश में कमी आई है, जबकि आस-पास के राज्यों में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। भारतीय मौसम विभाग ने जुलाई में अच्छी बारिश की उम्मीद जताई थी, लेकिन यह अनुमान सही नहीं साबित हुआ। शहरीकरण और तापमान में वृद्धि के कारण भी बारिश में कमी आई है। जानें इसके पीछे के कारण और भविष्य की चुनौतियों के बारे में इस लेख में।
 

दिल्ली में बारिश की कमी

इस वर्ष के मानसून में दिल्ली ने बारिश के मामले में काफी पीछे रह गई है। जबकि आस-पास के कई राज्यों में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है, दिल्ली में 1 जून से 9 जुलाई के बीच सामान्य वर्षा से लगभग 25% कम बारिश हुई है। पड़ोसी राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बारिश सामान्य या उससे अधिक रही, जिससे दिल्ली में बारिश की कमी और भी स्पष्ट हो गई है। देश के कुल मानसून परिदृश्य को देखें तो इस वर्ष मानसून सामान्य से लगभग 15% अधिक रहा है.


बारिश के पूर्वानुमान

29 जून को दिल्ली में मानसून के आगमन के बाद भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अनुमान लगाया था कि जुलाई के प्रारंभ में राजधानी में अच्छी बारिश होगी। आईएमडी ने यह भी कहा था कि मानसून की सक्रिय रेखा दिल्ली के ऊपर रहेगी और लगातार वर्षा लाएगी। लेकिन ये अनुमान वास्तविकता से काफी दूर साबित हुए। आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर.के. जेनामणि के अनुसार, मानसून रेखा कुछ ही घंटों के लिए दिल्ली के ऊपर रही और फिर यह पंजाब की ओर बढ़ गई। वर्तमान में यह रेखा दिल्ली से लगभग 150 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इसका सीधा असर यह हुआ कि दिल्ली में हल्की और छिटपुट बारिश ही हुई, जबकि आसपास के क्षेत्रों को अधिक लाभ मिला.


शहरीकरण और तापमान का प्रभाव

दिल्ली जैसे बड़े और घनी आबादी वाले शहरों में तीव्र शहरीकरण ने शहरी ताप द्वीप (Urban Heat Island – UHI) प्रभाव को जन्म दिया है। यह प्रभाव शहर के तापमान को आसपास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में 2 से 9 डिग्री सेल्सियस तक अधिक कर देता है। विशेषकर दिल्ली के दक्षिण और पूर्वी इलाकों में यह प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है.


यूएचआई प्रभाव के कारण शहरी सतहें अधिक गर्म होती हैं, जिससे संवहन की प्रक्रिया प्रभावित होती है। यह संवहन वायुमंडलीय गतिशीलता और स्थानीय पवन धाराओं को बदलता है, जिससे बादल बनना कम होता है और वर्षा के अवसर घट जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप दिल्ली में मानसून की सामान्य वर्षा चक्र बिगड़ जाता है और बारिश कम होती है.


मौसम प्रणाली का योगदान

दिल्ली की बारिश केवल स्थानीय कारकों पर निर्भर नहीं करती बल्कि यह व्यापक जलवायु प्रणालियों जैसे मानसून ट्रफ और पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) पर भी निर्भर करती है। इस साल मानसून ट्रफ केवल कुछ समय के लिए सक्रिय रही, जबकि पश्चिमी विक्षोभ दिल्ली के उत्तर की ओर से गुजरा। इस वजह से बारिश अपेक्षित मात्रा में नहीं हुई। डॉ. आर.के. जेनामणि के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के राजधानी से दूर रहने और मानसूनी गर्त की कमजोर सक्रियता ने दिल्ली में वर्षा कम कर दी.


भविष्य की चुनौतियां और सुधार की आवश्यकता

दिल्ली जैसे महानगरों के लिए मानसून का सटीक पूर्वानुमान लगाना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। यहाँ छोटे इलाकों में भी जलवायु की स्थिति में बड़े बदलाव हो सकते हैं। इसलिए मौसम विभाग को अपने पूर्वानुमान मॉडल्स में स्थानीय पर्यावरणीय और वायुमंडलीय कारकों के जटिल अंतर्संबंधों को बेहतर ढंग से शामिल करने की आवश्यकता है। इससे न केवल दिल्ली बल्कि अन्य महानगरों में भी मानसून के प्रभावों का सही आकलन हो सकेगा.