दिल्ली सरकार का ऐतिहासिक निर्णय: कश्मीरी विस्थापितों को राहत भत्ता मिलेगा
दिल्ली सरकार का मानवीय कदम
नई दिल्ली - कश्मीरी विस्थापितों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक महत्वपूर्ण और मानवीय निर्णय लिया है। उनका कहना है कि यह निर्णय उन कश्मीरी हिंदू विस्थापितों के लिए आशा की नई किरण लेकर आया है, जो तीन दशकों से अपने घरों से दूर हैं। दिल्ली सरकार ने विस्थापित परिवारों की समस्याओं को गंभीरता से सुनने के बाद, उन्हें हल करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। राहत राशि के वितरण की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, जिसमें पारिवारिक आय सीमा को समाप्त करना भी शामिल है। सरकार जल्द ही राहत राशि का वितरण शुरू करेगी।
कश्मीरी विस्थापितों की समस्याओं का समाधान
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि 1990 के दशक में आतंकवाद के कारण अपने घर छोड़ने वाले हजारों कश्मीरी हिंदू परिवार दिल्ली और एनसीआर में बस गए। इन परिवारों को जीवनयापन के लिए सरकार द्वारा ‘एड-हॉक मंथली रिलीफ’ के रूप में सहायता दी जाती रही है। लेकिन, समय के साथ कठोर नीतियों और पुराने नियमों ने उनकी स्थिति को और कठिन बना दिया। आय सीमा की शर्त और परिवार के रिकॉर्ड को अपडेट करने में कठिनाई ने कई परिवारों को परेशान किया, जिसके कारण पिछले डेढ़ साल से राहत राशि का वितरण नहीं हो सका। मुख्यमंत्री ने शिक्षा मंत्री आशीष सूद के साथ मिलकर विस्थापितों की समस्याओं को सुना और राजस्व विभाग को आवश्यक आदेश दिए।
नई राहत योजनाएं
मुख्यमंत्री ने बताया कि नए निर्णय के तहत 26,800 रुपये मासिक आय सीमा को समाप्त कर दिया गया है। अब सभी पंजीकृत कश्मीरी विस्थापित परिवारों को उनकी वर्तमान आय की परवाह किए बिना राहत भत्ता मिलेगा। यह कदम यह दर्शाता है कि राहत कोई दान नहीं, बल्कि एक अधिकार है। इसके अलावा, ‘विशेष अवसर योजना’ लागू की गई है, जिसके तहत विस्थापित परिवारों को अपने सदस्यों का विवरण दर्ज करने का एक बार अवसर मिलेगा। इससे पारिवारिक सूचियों में पारदर्शिता आएगी। दिल्ली सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि सितंबर 2025 तक का बकाया राहत भत्ता जारी किया जाएगा, ताकि प्रभावित परिवारों को तत्काल आर्थिक सहायता मिल सके।
आर्थिक राहत और सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम राहत वितरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा और जम्मू-कश्मीर में पहले से लागू राहत व्यवस्थाओं के अनुरूप समानता सुनिश्चित करेगा। यह निर्णय विस्थापित समुदाय की पीड़ा को सम्मानपूर्वक स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का यह निर्णय केवल आर्थिक राहत नहीं, बल्कि एक नैतिक और मानवीय प्रतिबद्धता का प्रतीक है। कश्मीरी विस्थापित परिवारों ने जो नुकसान झेला है, उसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता। अब दिल्ली केवल उनका ठिकाना नहीं, बल्कि उनका अपना घर है।