दिल्ली सरकार का नया अध्यादेश: स्कूलों की फीस वृद्धि पर नियंत्रण
दिल्ली सरकार का अध्यादेश
दिल्ली सरकार ने स्कूलों में मनमानी फीस बढ़ोतरी को रोकने के लिए एक नया अध्यादेश पारित किया है। इस अध्यादेश की आवश्यकता क्यों पड़ी, यह एक बड़ा सवाल है। पिछले 11 वर्षों में आम आदमी पार्टी की सरकार ने बिना किसी अध्यादेश के स्कूलों की फीस को नियंत्रित किया था। अरविंद केजरीवाल और थोड़े समय के लिए आतिशी के मुख्यमंत्री रहते हुए, किसी भी निजी स्कूल ने फीस बढ़ाने की हिम्मत नहीं की। लेकिन भाजपा सरकार के आने के बाद, स्कूलों ने मनमाने तरीके से फीस बढ़ा दी। जो छात्र बढ़ी हुई फीस नहीं चुका पाए, उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया और स्कूल के गेट पर बाउंसर तैनात कर दिए गए। अब अभिभावक सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि सरकार अध्यादेश लाने की प्रक्रिया में है।
अध्यादेश पर विवाद
इस स्थिति के पीछे दो संभावित कारण हो सकते हैं: पहला, सरकार की कमजोरी या दूसरा, सरकार की मिलीभगत, जो केवल दिखावा कर रही है। अध्यादेश को लेकर विवाद का एक बड़ा मुद्दा यह है कि इसके प्रावधानों को गोपनीय रखा गया है। पहले सरकार ने एक बिल लाने की योजना बनाई थी, जिस पर 14 मई को दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में चर्चा होनी थी। इसलिए चार मई को कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी थी। लेकिन अचानक सरकार ने इसे टाल दिया और अब अध्यादेश के माध्यम से फीस फिक्सेशन बिल लाना पड़ा। पहले के बिल को रोक दिया गया और नए बिल को मंजूरी दी गई। आरोप लग रहे हैं कि स्कूल लॉबी के दबाव में सरकार ने इसे बदला है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि यह अध्यादेश स्कूलों को लाभ पहुंचाने वाला है।