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दिल्ली सरकार ने जन विश्वास विधेयक को दी मंजूरी, छोटे उल्लंघनों को अपराधमुक्त करने का लक्ष्य

दिल्ली सरकार ने हाल ही में 'दिल्ली जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2026' को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य छोटे उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि यह विधेयक अदालतों पर बोझ कम करेगा और प्रशासनिक प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाएगा। केंद्र सरकार की जन विश्वास पहल के अनुरूप, यह विधेयक 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' और 'ईज़ ऑफ लिविंग' को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। विधेयक में जुर्माने में वृद्धि का प्रावधान भी है, जिससे दंड प्रभावी बना रहेगा।
 

दिल्ली जन विश्वास विधेयक का उद्देश्य

- छोटे उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का निर्णय


- अदालतों पर बोझ कम करने और प्रशासनिक प्रणाली को प्रभावी बनाने की योजना: सीएम रेखा गुप्ता


नई दिल्ली, 30 दिसंबर 2025
दिल्ली सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा लेते हुए ‘दिल्ली जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2026’ को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना और छोटे उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना है, जिससे अदालतों पर बोझ कम होगा और प्रशासनिक कार्यप्रणाली अधिक प्रभावी होगी। यह विधेयक केंद्र सरकार द्वारा लागू जन विश्वास (संशोधन उपबंध) अधिनियम, 2023/2025 के अनुरूप है, जिसमें छोटे अपराधों को अपराधमुक्त किया गया है।


दिल्ली में सुधार की दिशा में कदम

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विधेयक की जानकारी देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ और ‘ईज़ ऑफ लिविंग’ को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 2023 में लागू जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अधिनियम के तहत छोटे, तकनीकी और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया। इसी के अनुरूप, राज्यों को अपने कानूनों की समीक्षा करने की सलाह दी गई थी। दिल्ली सरकार ने अपने कानूनों की गहन समीक्षा की और पाया कि कई मामलों में आपराधिक दंड की जगह नागरिक (सिविल) दंड अधिक उपयुक्त हैं।


विधेयक का उद्देश्य और प्रभाव

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक कानूनहीनता को बढ़ावा देने के लिए नहीं, बल्कि दंड की अनुपातिकता सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। इसके लागू होने से छोटे, तकनीकी और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों में आपराधिक मुकदमे समाप्त होंगे, और उनकी जगह नागरिक दंड, प्रशासनिक जुर्माना और अपील की व्यवस्था होगी। गंभीर अपराधों और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में कठोर प्रावधान यथावत रहेंगे। इससे अदालतों पर मुकदमों का बोझ घटेगा और प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि होगी।


संशोधन के अधिनियमों की सूची

मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन अधिनियमों में संशोधन का प्रस्ताव है, उनमें शामिल हैं:-
दिल्ली औद्योगिक विकास, संचालन एवं अनुरक्षण अधिनियम, 2010
दिल्ली दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1954
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ‘इन्क्रेडिबल इंडिया’ बेड एंड ब्रेकफास्ट प्रतिष्ठान (पंजीकरण एवं विनियमन) अधिनियम, 2007
दिल्ली कृषि उपज विपणन (नियमन) अधिनियम, 1998
दिल्ली जल बोर्ड अधिनियम, 1998
दिल्ली व्यावसायिक महाविद्यालय/संस्थान अधिनियम, 2007
दिल्ली डिप्लोमा स्तरीय तकनीकी शिक्षा संस्थान अधिनियम, 2007


जुर्माने में वृद्धि का प्रावधान

विधेयक में यह भी प्रस्तावित है कि अधिनियम लागू होने के बाद हर तीन वर्ष में जुर्माने की राशि में 10 प्रतिशत की स्वत: वृद्धि होगी, ताकि मुद्रास्फीति और लागत वृद्धि के अनुरूप दंड प्रभावी बना रहे। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस विधेयक से सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा और मौजूदा विभागीय संसाधनों से ही क्रियान्वयन किया जाएगा। यह विधेयक दिल्ली विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित किया जाएगा।