दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी स्वैपिंग मामले में आरोपी को जमानत देने से किया इनकार
पत्नी स्वैपिंग का मामला
पत्नी स्वैपिंग केस: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक गंभीर मामले में पति को जमानत देने से मना कर दिया है। पति पर आरोप है कि उसने पत्नी को 'वाइफ स्वैपिंग' के लिए मजबूर किया और सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरों के साथ यौन संबंधों का प्रस्ताव दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला सामान्य वैवाहिक विवाद नहीं है, बल्कि गंभीर आपराधिक गतिविधियों से संबंधित है।
जस्टिस गिरीश कथपालिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने 9 जून को दिए गए आदेश में कहा, "एफआईआर में लगाए गए आरोप सामान्य वैवाहिक विवाद से संबंधित नहीं हैं।" आरोपी पर बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, शारीरिक शोषण, क्रूरता और आपराधिक धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप हैं। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
पीड़िता के आरोपों का विवरण
एफआईआर के अनुसार, आरोपी ने अपनी पत्नी के साथ अमानवीय व्यवहार किया। अदालत ने बताया, "आरोपी पत्नी के हाथ में लेड से चोट पहुंचाता था और फिर जख्म के साथ किचन का काम करने को कहता था। वह उस पर 'वाइफ स्वैपिंग' के लिए दबाव डालता था। इसके लिए वह उसे होटल में भी ले गया, जहां उसके दोस्तों ने उसके साथ छेड़खानी की। वह वहां से भाग गई।" इसके अलावा, पीड़िता ने अपने देवर पर भी यौन शोषण का आरोप लगाया है। जब उसने इसकी शिकायत अपने पति से की, तो उसने इसे नजरअंदाज करने को कहा।
सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी और यौन ऑफर
आरोपी पर आरोप है कि उसने अपनी पत्नी की फर्जी इंस्टाग्राम आईडी बनाकर उसकी तस्वीरें साझा कीं और पैसे के बदले यौन संबंधों का प्रस्ताव दिया। अदालत ने इसे अत्यंत गंभीर माना और कहा कि पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के आरोपों को दोहराया है।
आरोपी की संदिग्ध गतिविधियां
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि पहले की अग्रिम जमानत के दौरान आरोपी ने पीड़िता के साथ टेक्स्ट चैट की थी, जिसकी कॉपी रिकॉर्ड में है। "यह भी महत्वपूर्ण है कि आरोपी ने एक नया सिम लेकर काल्पनिक नाम से चैट किया, लेकिन जांच में पाया गया कि यह सिम उसके नाम पर रजिस्टर्ड है।" इस आधार पर अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया।