दिल्ली हाई कोर्ट में अफजल गुरु की कब्र हटाने की याचिका: जेल में अंतिम संस्कार के नियम
अफजल गुरु और मोहम्मद मकबूल भट्ट की कब्रें हटाने की मांग
दिल्ली हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका: तिहाड़ जेल परिसर में अफजल गुरु और मोहम्मद मकबूल भट्ट की कब्रों को हटाने की मांग की गई है। याचिका में यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि इन कब्रों का जेल में होना उचित नहीं है और इन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। अफजल गुरु को 2013 में संसद पर हमले के लिए दोषी ठहराया गया था और उन्हें फांसी दी गई थी। इस याचिका ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या किसी आतंकवादी की जेल में कब्र होनी चाहिए।
कोर्ट का निर्णय और जेल सुधारों पर चर्चा
तिहाड़ जेल में अफजल गुरु की कब्र रहेगी या नहीं, यह कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगा। यह विवाद जेल सुधारों पर नई बहस को जन्म दे रहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि जेल में किसी की कब्र होना सुरक्षा के लिए खतरा है। वकील सुभाष तंवर ने बताया कि इस याचिका का निर्णय जेल में कब्रों के संबंध में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि जेल नियमों में फांसी पाए कैदियों के शवों के निपटान के बारे में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
भारतीय जेलों में कैदियों की मौत और अंतिम संस्कार के नियम
भारत की जेलों में कैदियों की मौत चाहे प्राकृतिक कारणों से हो या फांसी के कारण, इसके लिए मॉडल प्रिजन मैनुअल 2016 और दिल्ली प्रिजन रूल्स 2018 लागू होते हैं। इन नियमों के अनुसार, किसी भी कैदी की मौत की सूचना तुरंत स्थानीय मजिस्ट्रेट को दी जानी चाहिए। इसके अलावा, 24 घंटे के भीतर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी रिपोर्ट भेजनी होती है।
धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार
यदि जेल में किसी की संदिग्ध स्थिति में मौत होती है, तो शव का पोस्टमॉर्टम अनिवार्य होता है। फांसी की स्थिति में, जेल मेडिकल ऑफिसर मौत की पुष्टि करता है और सभी विवरण दर्ज करता है। जेल में मौत के 24 घंटे के भीतर परिवार को शव सौंपा जाना चाहिए। यदि कोई दावा नहीं करता है, तो शव का निपटान धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाता है।
परिवार की अनुपस्थिति में अंतिम क्रिया
नियमों के अनुसार, हिंदू कैदियों के शवों का दाह संस्कार किया जाता है और राख को 24 घंटे बाद दफनाया जाता है या नदी में विसर्जित किया जाता है। यदि परिवार शव नहीं ले जाता है, तो शव को कब्रिस्तान में दफनाया जाता है। याचिका में कहा गया है कि अफजल गुरु की कब्र जेल में रखना नियमों के विपरीत हो सकता है, क्योंकि यह आतंकवाद का महिमामंडन करता है। जेल प्रशासन का कहना है कि यह अस्थायी व्यवस्था परिवार की अनुपस्थिति में की गई थी।