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दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक ला नीना का प्रभाव: ठंड का बढ़ता दबाव

दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक ला नीना का प्रभाव उत्तर भारत में ठंड का दबाव बढ़ा सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, इस बार सर्दियों का तापमान सामान्य से 1.5 से 3 डिग्री सेल्सियस कम रहने की संभावना है। हिमालय में बर्फबारी बढ़ने से किसानों के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। जानें इस मौसम के बारे में और क्या-क्या प्रभाव पड़ सकते हैं।
 

मौसम की चेतावनी


मौसम की चेतावनी: मौसम विभाग और जापान की एजेंसी के अनुसार, ला नीना का प्रभाव दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच अपने चरम पर होगा। यह घटना प्रशांत महासागर के ठंडे जल का परिणाम है, जो वैश्विक तापमान को कम करता है। इस बार जेट स्ट्रीम दक्षिण की ओर झुक रही है, जिससे उत्तर भारत में ठंडी हवाओं का दबाव बढ़ेगा और गंगा के मैदानी क्षेत्रों में कोल्ड वेव जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।


सर्दियों का तापमान

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस सर्दी का औसत तापमान सामान्य से 1.5 से 3 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है। उत्तर भारत में 1917 और 1962 के सर्दियों के रिकॉर्ड टूटने की संभावना भी जताई जा रही है।


हिमालय और मैदानी क्षेत्रों पर प्रभाव

हिमालय में बर्फबारी 20% तक बढ़ने की संभावना है, जिससे ग्लेशियर झीलों के फटने का खतरा भी बढ़ सकता है। दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में तापमान में गिरावट शुरू हो चुकी है। सुबह के समय पार्कों और सड़कों पर ठंडक महसूस की जा रही है, जिससे बच्चों और ऑफिस जाने वालों को भी सर्दी का अनुभव हो रहा है।


किसानों के लिए यह सर्दी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि गेहूं, सरसों और चने जैसी फसलें प्रभावित हो सकती हैं। सिंचाई और बिजली की मांग में वृद्धि होगी, जिससे कृषि क्षेत्र पर दबाव बढ़ेगा। मौसम विज्ञानी इस सर्दी को 'चरम शीतकाल' कह रहे हैं, जो हर 20 वर्षों में एक बार आता है।


ला नीना का सर्दियों पर प्रभाव

ला नीना, ENSO (El Niño Southern Oscillation) का ठंडा चरण है, जिसमें मध्य और पूर्वी ट्रॉपिकल प्रशांत महासागर का पानी ठंडा हो जाता है। इसका प्रभाव भारत में तेजी से बढ़ती सर्दी, अधिक वर्षा और कोल्ड वेव की स्थितियों के रूप में दिखाई देता है। इस प्रक्रिया में हवाएं सामान्य से तेज हो जाती हैं और प्रशांत महासागर की ओर पानी अधिक मात्रा में धकेला जाता है, जिससे भारत सहित पूर्वी विश्व के हिस्सों में तापमान में गिरावट और बर्फबारी की संभावना बढ़ जाती है।


भारतीय मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि इस बार उत्तरी भारत में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। पहाड़ी क्षेत्रों में शीत लहर और बर्फबारी में वृद्धि होने की संभावना है। अक्टूबर 2025 में देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई गई है, जिसमें औसत 75.4 मिमी बारिश का लगभग 115% होने की उम्मीद है।


शहरों में ठंड का अनुभव

दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में लोग अब सुबह-सुबह ठंडक महसूस कर रहे हैं। बच्चों और ऑफिस जाने वाले लोग पार्कों और सड़कों पर ठंडी हवाओं का सामना कर रहे हैं। इस साल सर्दियों का मौसम सामान्य से पहले आने की उम्मीद है।