दुर्गापुर गैंगरेप मामला: सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
दुर्गापुर गैंगरेप मामला:
दुर्गापुर गैंगरेप मामला: पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में घटित गैंगरेप की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता के पिता ने रविवार को फोन पर जानकारी दी कि उनका परिवार इस समय भय के साए में जी रहा है।
उन्होंने कहा, 'मेरी बेटी की स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन उसकी जान को खतरा है। मैं मुख्यमंत्री मोहन माझी से अनुरोध करता हूं कि उसे भुवनेश्वर ले जाने की अनुमति दी जाए।' पीड़िता 23 वर्षीय एमबीबीएस छात्रा है और वर्तमान में दुर्गापुर के एक अस्पताल में उपचाराधीन है।
रात 8 बजे के बाद हुआ हमला
अधिकारियों के अनुसार, यह घटना शुक्रवार रात लगभग 8 बजे हुई, जब पीड़िता एक पुरुष सहपाठी के साथ कैंपस से बाहर गई थी। पिता ने आरोप लगाया कि उसके साथ मौजूद साथी मौके से भाग गया और किसी को सूचना नहीं दी। उन्होंने कहा, 'हमलावरों ने उसे पास के जंगल में खींच लिया और दरिंदगी की। यह सब रात 8 से 9 बजे के बीच हुआ। मेरी बेटी आधी रात को नहीं, बल्कि शाम को बाहर गई थी।' उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का यह बयान कि 'लड़कियों को रात में बाहर नहीं जाना चाहिए' पूरी तरह गलत है और यह घटना को दबाने का प्रयास है।
अधिकारियों ने किया अस्पताल का दौरा
घटना की जानकारी मिलने के बाद ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। बालासोर प्रशासन की एक टीम शनिवार को दुर्गापुर पहुंची, जिसमें जिला समाज कल्याण अधिकारी ज्योत्सना मोहंती और अतिरिक्त जिलाधिकारी हेमंत सिंह शामिल थे। मोहंती ने बताया, 'पीड़िता की स्थिति में सुधार हो रहा है। हमने परिवार को आश्वस्त किया है कि ओडिशा सरकार उनके साथ है। पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ समन्वय लगातार जारी है।' सिंह ने कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने 36 घंटे के भीतर तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और न्याय की उम्मीद है।
ममता सरकार पर भाजपा का निशाना
इस घटना पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी ने पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में 'कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।' उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि उनकी सरकार पीड़ितों को न्याय दिलाने में असफल रही है। वहीं, पीड़िता का परिवार अब भी डर के माहौल में जी रहा है। पिता ने कहा, 'मैं छिपकर रह रहा हूं, जबकि मेरी पत्नी, जो मधुमेह की मरीज हैं, अस्पताल में बेटी के पास हैं। हमें किसी पर भरोसा नहीं है।'
डर अब भी कायम
यह घटना न केवल महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पीड़ित परिवार न्याय की राह में कितनी कठिनाइयों का सामना कर रहा है। पिता का यह बयान कि 'वे किसी पर भरोसा नहीं कर सकते,' राज्य की संवेदनशीलता पर सीधा प्रहार करता है। अब देखना होगा कि क्या पीड़िता को ओडिशा में सुरक्षित इलाज मिल पाता है या नहीं।