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दूध उत्पादन में सुधार के लिए बिहार सरकार के नए दिशा-निर्देश

बिहार सरकार ने दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो पशुपालकों को स्वच्छ और गुणवत्तापूर्ण दूध उत्पादन में मदद करेंगे। ये नियम न केवल उपभोक्ताओं को स्वच्छ दूध उपलब्ध कराएंगे, बल्कि पशुपालकों की आय में भी वृद्धि करेंगे। जानें कैसे सही दुहाई प्रक्रिया और स्वच्छता से दूध की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
 

दूध उत्पादन में स्वच्छता का महत्व

दूध उत्पादन के लिए सुनहरा अवसर: स्वच्छ दूध से बढ़ाएं आय, बिहार सरकार के सरल नियमों का पालन करें: बिहार के पशुपालकों के लिए एक अच्छी खबर है! बिहार सरकार का पशुपालन निदेशालय अब स्वच्छ और गुणवत्तापूर्ण दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कुछ सरल और प्रभावी दिशा-निर्देश प्रस्तुत कर रहा है।


ये दिशा-निर्देश न केवल उपभोक्ताओं को स्वच्छ दूध प्रदान करेंगे, बल्कि पशुपालकों की आय में भी महत्वपूर्ण वृद्धि करेंगे। सही दुहाई प्रक्रिया, साफ-सफाई, और थनैला जांच जैसे छोटे-छोटे कदम दूध की शुद्धता को बनाए रखते हैं, जिससे बाजार में इसकी मांग और मूल्य दोनों में वृद्धि होती है। यह पहल पशुपालकों को दुग्ध व्यवसाय में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।दूध उत्पादन के लिए सुझाव


दूध दुहने से पहले पशुपालकों को अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हाथ और शरीर को अच्छी तरह धोना, सिर को साफ कपड़े या टोपी से ढकना आवश्यक है, ताकि दूध में कोई गंदगी न जाए। थनों की सफाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।


दुहाई से पहले और बाद में थनों को साफ पानी और जीवाणुनाशक घोल से धोकर सूती कपड़े से पोंछना चाहिए। इससे पशु स्वास्थ्य बेहतर रहता है और थनैला रोग का खतरा कम होता है। साथ ही, पहली धार को जमीन पर छान देना चाहिए, क्योंकि यह बैक्टीरिया और गंदगी को बाहर निकालती है। पशु की पूँछ को बांधना भी न भूलें, ताकि दूध में गंदगी न फैले।


थनैला जांच को नियमित रूप से करना चाहिए, क्योंकि यह रोग दूध की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। थनैला पेपर से समय पर जांच करने से बीमारी का पता जल्दी चलता है और इलाज संभव हो पाता है।


बिहार सरकार की यह पहल न केवल स्वच्छ दूध उत्पादन को प्रोत्साहित करती है, बल्कि पशुपालकों की आय और दुग्ध व्यवसाय को मजबूत करने का भी लक्ष्य रखती है। इन नियमों को अपनाकर पशुपालक न केवल अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं, बल्कि बाजार में अपनी पहचान भी बना सकते हैं। यह समय है स्वच्छता को अपनाने और दूध उत्पादन में नई क्रांति लाने का।