धनतेरस पर स्वास्थ्य का महत्व: आयुर्वेद और समृद्धि का संदेश
धनतेरस का पर्व और स्वास्थ्य का संदेश
आलोक मेहता | दीपावली के अवसर पर दिल्ली में दो लाख और अयोध्या में छब्बीस लाख दीप जलाने का संकल्प लें। महालक्ष्मी के साथ सरस्वती की पूजा कर, सम्पूर्ण भारत को समृद्ध और विकसित बनाने की प्रार्थना करें। भारतीय संस्कृति में पूजा का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना रहा है। लेकिन, 'स्वस्थ भारत' के बिना, एक शिक्षित और समृद्ध भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए, लक्ष्मी पूजा से पहले भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व समझें।
भारत सरकार ने 2016 से हर साल धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। इसका उद्देश्य आयुर्वेद के सिद्धांतों और औषधीय पौधों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। आयुर्वेद का ज्ञान भगवान धन्वंतरि से शुरू हुआ, जो इसे भगवान ब्रह्मा से प्राप्त करते हैं। आयुर्वेद दिवस भगवान धन्वंतरि के योगदान का सम्मान करता है, जो हमें संतुलित जीवन जीने की दिशा दिखाता है।
भारत में आयुर्वेद की स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट स्तर की शिक्षा उपलब्ध है। आयुर्वेद चिकित्सकों और औषधि निर्माताओं का एक बड़ा नेटवर्क स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचा रहा है। आयुर्वेद को अब 24 देशों में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह भारत की एक बड़ी उपलब्धि है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी पद्धतियों के लिए रोग कोड शामिल किए हैं। इससे आयुर्वेदिक उपचारों का सटीक दस्तावेजीकरण संभव हुआ है। गुजरात के जामनगर में ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार आयुष और आयुर्वेद जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दे रही है। पिछले दस वर्षों में आयुष प्रणाली का विस्तार 100 से अधिक देशों तक हुआ है।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा का कहना है कि आयुष का वैश्विक विस्तार अभूतपूर्व है। आयुष और हर्बल उत्पादों का निर्यात 2023-24 में 3.6 प्रतिशत बढ़कर 651.17 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है।
इसलिए, धनतेरस केवल सोना-चांदी खरीदने का दिन नहीं है। यह भगवान धन्वंतरि की आराधना का अवसर है, जिन्होंने हमें आयुर्वेद का अमूल्य ज्ञान दिया। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि असली धन स्वास्थ्य है।