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धान की फसल को कीटों और रोगों से बचाने के उपाय

धान की फसल की सुरक्षा के लिए कीटों और रोगों से बचाव के उपाय जानना आवश्यक है। इस लेख में, हम आपको धान की फसल में आने वाली बीमारियों, जैसे शीथ ब्लाईट और पत्र लपेटक कीट के लक्षणों और उनके बचाव के उपायों के बारे में जानकारी देंगे। सही समय पर उपाय करने से आप अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
 

धान की फसल में कीट और रोगों का खतरा


कीट और रोगों की चपेट में आने से पैदावार होती है कम
भारत में धान की फसल का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। वर्तमान में धान की फसल में बालियां आना शुरू हो गई हैं। जैसे-जैसे कटाई का समय नजदीक आता है, फसल पर कीटों और रोगों का खतरा बढ़ जाता है। यदि समय पर इनसे बचाव के उपाय नहीं किए गए, तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है। इस लेख में हम आपको धान की फसल में होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी देंगे।


इसके साथ ही, हम बताएंगे कि आप इन बीमारियों से अपनी फसल को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। धान की रोपाई के कुछ समय बाद, फसलों में शीथ ब्लाईट, शीथ रॉट और पत्र लपेटक कीट का प्रकोप देखा जा सकता है। ये बीमारियां धान की फसल को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं। इनसे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और पैदावार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं इन कीटों और रोगों के लक्षण और उनसे बचाव के उपाय।


शीथ ब्लाईट

शीथ ब्लाईट


शीथ ब्लाईट


शीथ ब्लाईट की समस्या धान की फसल में अधिक जल जमाव के कारण उत्पन्न होती है। यह रोग मिट्टी से फैलता है। जब इसका प्रकोप बढ़ता है, तो यह सबसे ऊपरी पत्तियों तक पहुंच जाता है। इस रोग के कारण पत्ते सूखने लगते हैं और यदि यह बालियों पर लग जाए, तो दाने भी नहीं आते। इसके लक्षण आमतौर पर खेतों में उन स्थानों पर पाए जाते हैं, जहां जलजमाव और खरपतवार की स्थिति होती है।


लक्षण

लक्षण


शीथ रॉट रोग के कारण पत्तों पर भूरे या लाल-भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। ये धब्बे धीरे-धीरे बढ़ते हैं, जिससे फसल पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और सड़न शुरू हो जाती है। यदि यह रोग तीन महीने बाद लगता है, तो यह दाने के अंकुरण को धीमा कर देता है और अनाज की उपज को कम करता है।


बचाव के उपाय

बचाव के उपाय


इस रोग से बचने के लिए खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। इसके अलावा, धान की फसल में कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण को 5 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इससे आपकी फसल सुरक्षित रहेगी और रोग का प्रकोप कम होगा।


पत्र लपेटक कीट के लक्षण

पत्र लपेटक कीट के लक्षण


पत्र लपेटक


बारिश के कारण धान की फसल में पत्र लपेटक कीट का प्रकोप बढ़ गया है। इसे पत्ती लपेटक कीट भी कहा जाता है, जो पत्तियों का रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इस रोग के लक्षणों में पत्तियों का मुड़ना और लपेटना, साथ ही पत्तियों पर सफेद या भूरे रंग के धब्बे होना शामिल हैं।


बचाव के उपाय

बचाव के उपाय


पत्र लपेटक कीट के प्रकोप से बचने के लिए धान की फसल की सिंचाई न करें। इसके अलावा, पत्तियों को हिलाकर या 10 मीटर लंबी रस्सी को खेत में घुमाकर कीटों को गिराया जा सकता है। इस कीट के प्रकोप के दौरान कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी दानेदार को 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।