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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कोलकाता में हनुमंत कथा स्थगित की

बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कोलकाता में 10 से 12 अक्टूबर के बीच होने वाली हनुमंत कथा को स्थगित कर दिया है। उन्होंने इस निर्णय के साथ एक राजनीतिक बयान भी दिया, जिससे पश्चिम बंगाल की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा शुरू हो गई है। भारी बारिश और जलभराव के कारण कथा का आयोजन संभव नहीं हो सका। भक्तों में निराशा है, लेकिन उन्होंने शास्त्री जी के निर्णय का सम्मान किया है। अब सभी की नजरें उनके अगले ऐलान पर टिकी हैं।
 

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बड़ा बयान

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बयान: बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कोलकाता में 10 से 12 अक्टूबर के बीच आयोजित होने वाली हनुमंत कथा को स्थगित करने की घोषणा की है। इस निर्णय के साथ ही उन्होंने एक महत्वपूर्ण राजनीतिक टिप्पणी भी की, जिसमें कहा, 'जब तक दीदी हैं, हम नहीं जाएंगे; दादा आएंगे तब जाएंगे।' हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके इस बयान को पश्चिम बंगाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति से जोड़ा जा रहा है।


कथा स्थगित होने का कारण

दरअसल, भारी बारिश और कथा स्थल पर जलभराव के कारण यह आयोजन संभव नहीं हो सका। शास्त्री जी ने कहा कि वर्तमान में परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं और उन्हें वैकल्पिक स्थल की अनुमति भी नहीं मिली है। उन्होंने यह भी बताया कि बागेश्वर धाम में धर्म और परंपरा का पालन करते हुए ही कथा का आयोजन किया जाएगा। यदि प्रशासन से अनुमति और अनुकूल स्थिति मिली, तो वे फिर से कथा का आयोजन करेंगे।


भक्तों की निराशा

कथा स्थगित होने की वजह: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने स्पष्ट किया कि कथा का स्थगित होना केवल प्रशासनिक और प्राकृतिक कारणों से है। हालांकि, उनके बयान में राजनीतिक संकेत भी देखे जा रहे हैं। भक्त अब यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि वह कब पश्चिम बंगाल लौटेंगे और कथा का आयोजन करेंगे। उनके इस बयान के बाद धार्मिक समुदाय और सोशल मीडिया में चर्चाओं का माहौल बन गया है।


भक्तों में निराशा

भक्तों में निराशा: कोलकाता और आसपास के भक्तों में कथा स्थगित होने से निराशा जरूर दिखी, लेकिन उन्होंने शास्त्री जी के फैसले का सम्मान किया। शास्त्री जी के अनुयायी मानते हैं कि उनका हर निर्णय धर्म और मर्यादा को ध्यान में रखकर ही लिया जाता है। इस बीच, धार्मिक समुदाय का मानना है कि कथा स्थगित होने के बावजूद शास्त्री जी का संदेश भक्तों तक पहुंच चुका है। अब सभी की निगाहें उनके अगले ऐलान पर टिकी हैं।