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नई छिलका रहित जौ की किस्म DWRB-223: स्वास्थ्य और कृषि में क्रांति

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने 37 वर्षों के अनुसंधान के बाद छिलका रहित जौ की नई किस्म DWRB-223 विकसित की है। यह जौ न केवल स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों के लिए उपयुक्त है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी कई लाभ प्रदान करती है। इसमें बीटा-ग्लूकॉन की उच्च मात्रा है, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह किस्म किसानों के लिए भी लाभकारी साबित होगी, क्योंकि इसकी पैदावार और बाजार मूल्य दोनों ही उत्कृष्ट हैं।
 

करनाल में नई जौ की किस्म का विकास

Barley Variety new hull-less barley: करनाल | भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने 37 वर्षों के अनुसंधान के बाद एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने छिलका रहित जौ की नई किस्म DWRB-223 विकसित की है। यह जौ न केवल स्वादिष्ट चपाती, पूड़ी और दलिया बनाने में सहायक होगी, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी साबित होगी।


नई किस्म के स्वास्थ्य लाभ

सेहत के लिए वरदान है नई किस्म Barley Variety


इस नई जौ में बीटा-ग्लूकॉन की प्रचुर मात्रा है, जो डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग और लीवर की समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह आंतों के घावों को भरने, मस्तिष्क की सुरक्षा और किडनी में पथरी बनने से रोकने में सहायक है। संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी के अनुसार, यह जौ न्यूरो-प्रोटेक्टर और लिवर-सेवर के रूप में कार्य करता है।


किसानों के लिए लाभकारी फसल

किसानों के लिए भी मुनाफे की फसल


यह किस्म हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उगाने के लिए स्वीकृत हो चुकी है। इसकी पैदावार उत्कृष्ट है और बाजार में इसकी कीमत भी ऊंची होगी। स्वास्थ्य के इतने फायदों के कारण लोग इसे तेजी से अपनाएंगे। 1989 के बाद पहली बार छिलका रहित जौ की नई किस्म आई है, जिससे किसानों के लिए यह एक लाभकारी फसल साबित होगी।