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नए कानून से गांवों में रोजगार और संपत्ति का निर्माण: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) एक्ट का समर्थन किया है, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दी है। यह नया कानून मनरेगा की जगह लेगा और गांवों में रोजगार के साथ-साथ स्थायी संपत्तियों का निर्माण करेगा। पीएम मोदी ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि यह योजना ग्रामीणों के लिए आर्थिक सुरक्षा बढ़ाएगी। जानें इस कानून के प्रमुख बिंदु और इसके प्रभाव।
 

विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन एक्ट का समर्थन


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) एक्ट का समर्थन किया है, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी है। पीएम ने बताया कि यह कानून केवल ग्रामीण मजदूरी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे गांवों में स्थायी संपत्तियों का निर्माण होगा, कृषि को मजबूती मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों की उत्पादकता में वृद्धि होगी।


राज्य सरकारों से बातचीत के बाद बना कानून

प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, इस कानून के निर्माण से पहले केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से चर्चा की थी। इसके अलावा, विशेषज्ञों और विभिन्न हितधारकों के साथ तकनीकी बैठकें भी आयोजित की गईं।


कांग्रेस की आलोचना

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस इस योजना की आलोचना कर रही है और दावा कर रही है कि इससे नौकरियां छिन जाएंगी। उन्होंने कहा कि यह योजना गांवों को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखती है।


आलू की खेती पर कांग्रेस का ज्ञान

चौहान ने कांग्रेस के नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें यह भी नहीं पता कि आलू जमीन के नीचे उगता है या ऊपर।


125 दिन काम की गारंटी

सरकार ने नए कानून में हर ग्रामीण परिवार को साल में 125 दिन काम देने की गारंटी दी है, जो पहले 100 दिन थी। इससे ग्रामीण परिवारों को अधिक काम मिलेगा और उनकी आर्थिक सुरक्षा मजबूत होगी।


खर्च का बंटवारा

कानून की धारा 22 के अनुसार, इस योजना के खर्च को केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर वहन करेंगी। सामान्य राज्यों में खर्च का बंटवारा 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य के बीच होगा।


पूर्वोत्तर राज्यों में खर्च का बंटवारा

पूर्वोत्तर राज्यों, पहाड़ी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत खर्च उठाएगी।


काम का नियंत्रण

धारा 6 के अनुसार, राज्य सरकारें खेती के व्यस्त समय के दौरान, साल में अधिकतम 60 दिनों तक इस योजना के तहत मिलने वाले काम को नियंत्रित कर सकेंगी।