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नया भारत: सबूत की मांग और आरोपों की राजनीति

भारत में एक नया राजनीतिक परिदृश्य उभर रहा है, जहां आरोप लगाने वालों से सबूत की मांग की जा रही है। राहुल गांधी ने कर्नाटक में वोटों की गड़बड़ी का आरोप लगाया, जबकि केरल के सांसद जॉन ब्रिटास ने विदेश सचिव के खिलाफ सोशल मीडिया पर हमलों की शिकायत की। जानें इन मामलों में क्या हुआ और यह नया चलन किस दिशा में जा रहा है।
 

आरोपों का नया दौर

भारत में एक नया राजनीतिक माहौल देखने को मिल रहा है। अब पुलिस और जांच एजेंसियों की भूमिका बदल गई है। आरोप लगाने वाले को खुद सबूत प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी दी जा रही है। उदाहरण के लिए, राहुल गांधी ने कर्नाटक की बेंगलुरू सेंट्रल लोकसभा सीट पर महादेवपुरा विधानसभा में एक लाख वोटों की गड़बड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने इस संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विभिन्न प्रकार की गड़बड़ियों का उल्लेख किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद चुनाव आयोग ने उनसे कहा कि वे अपने आरोपों को प्रमाणित करने के लिए सबूत पेश करें।


जॉन ब्रिटास का मामला

हाल ही में केरल के कम्युनिस्ट सांसद जॉन ब्रिटास ने एक गंभीर मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया। ऑपरेशन सिंदूर के सीजफायर के बाद, विदेश सचिव विनय क्वात्रा के खिलाफ सोशल मीडिया पर निजी हमले शुरू हुए, जिसमें उनके परिवार को भी निशाना बनाया गया। ब्रिटास ने इस मामले की शिकायत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजी। तीन महीने बाद, पुलिस ने ब्रिटास से कहा कि उन्हें अपने आरोपों के समर्थन में सबूत पेश करने होंगे। यह स्थिति दर्शाती है कि जबकि सोशल मीडिया पर सब कुछ उपलब्ध है, फिर भी पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ता से सबूत मांगने का निर्णय लिया।