नितिन गडकरी का बड़ा बयान: कबाड़ वाहनों से 40,000 करोड़ रुपये का लाभ
कबाड़ वाहनों का महत्व
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को बताया कि यदि देश में 97 लाख अयोग्य और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को कबाड़ में बदल दिया जाए, तो केंद्र और राज्यों को जीएसटी के माध्यम से 40,000 करोड़ रुपये का लाभ हो सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगस्त तक तीन लाख वाहनों को कबाड़ घोषित किया जा चुका है, जिसमें 1.41 लाख सरकारी वाहन शामिल हैं।
नौकरियों का सृजन
गडकरी ने वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं के निकाय एक्मा के वार्षिक सम्मेलन में कहा कि हमारे अनुमान के अनुसार, लगभग 97 लाख वाहनों को कबाड़ में बदलने की आवश्यकता है। ऐसा करने से 70 लाख नई नौकरियों का सृजन होगा और केंद्र एवं राज्यों को जीएसटी राजस्व के रूप में लगभग 40,000 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे।
निजी क्षेत्र से अपील
उन्होंने निजी क्षेत्र से अनुरोध किया कि जो ग्राहक अपने पुराने वाहनों को कबाड़ में देने का प्रमाणपत्र जमा करें, उन्हें नए वाहन खरीदने पर कम से कम पांच प्रतिशत की छूट दी जाए।
वर्तमान स्थिति
गडकरी ने बताया कि वर्तमान में हर महीने औसतन 16,830 वाहन कबाड़ हो रहे हैं और निजी क्षेत्र ने इस क्षेत्र में 2,700 करोड़ रुपये का निवेश किया है। सरकार ने पर्यावरण के अनुकूल तरीके से अयोग्य और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए स्वैच्छिक वाहन बेड़ा आधुनिकीकरण कार्यक्रम (वी-वीएमपी) लागू किया है।
फिटनेस जांच की अनिवार्यता
मोटर वाहन नियमों के अनुसार, वाणिज्यिक वाहनों के लिए फिटनेस जांच कराना अनिवार्य है। यह जांच आठ साल तक हर दो साल में और उसके बाद हर साल करानी होती है। निजी वाहनों के लिए यह जांच 15 साल की अवधि पूरी होने के बाद करानी होती है। सरकारी वाहनों की उपयोग अवधि 15 साल के बाद समाप्त हो जाती है।
ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान
गडकरी ने ऊर्जा सुरक्षा और ईंधन आयात पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि भारत हर साल 22 लाख करोड़ रुपये के पेट्रोल-डीजल का आयात करता है और कृषि से एथनॉल उत्पादन बढ़ाकर इस पर निर्भरता कम की जा सकती है।
ई-20 पेट्रोल वर्तमान में छोटे इंजन संशोधनों के साथ उपयोग किया जा रहा है, जबकि ई-27 की मिलावट के बारे में निर्णय सभी जांच पूरी होने के बाद लिया जाएगा।
सड़क सुरक्षा पर चिंता
गडकरी ने सड़क सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 2023 में पांच लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.8 लाख लोगों की जान गई। इनमें से 66 प्रतिशत लोग 18-34 वर्ष की आयु के थे।
उन्होंने भारत को अगले पांच वर्षों में दुनिया का अग्रणी वाहन उद्योग बनने का विश्वास भी जताया।