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निमिषा प्रिया की फांसी मामले में नया मोड़: पीड़ित परिवार ने किया इनकार

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी के मामले में नया मोड़ सामने आया है। पीड़ित परिवार ने भारतीय ग्रैंड मुफ्ती के दावों का खंडन किया है, जबकि उन्होंने फांसी की तारीख तय करने की मांग की है। निमिषा को 2020 में हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी, और अब उनके मामले में न्याय की मांग की जा रही है। जानें इस जटिल मामले के बारे में और क्या है निमिषा का पक्ष।
 

निमिषा प्रिया के मामले में ताजा जानकारी

निमिषा प्रिया की ताजा स्थिति: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी के मामले में एक नया मोड़ आया है। पहले यह कहा गया था कि भारतीय ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद पीड़ित परिवार से बातचीत कर निमिषा की सजा माफ कराने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, यमन के पीड़ित तलाल अब्दो महदी के परिवार ने इस बात से इनकार किया है। उन्होंने निमिषा को फांसी देने की तारीख तय करने की मांग भी की है।


फेसबुक पर स्पष्टीकरण

तलाल अब्दो महदी के भाई अब्दुल फतह महदी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में स्पष्ट किया कि उन्हें प्रतिशोध की कोई इच्छा नहीं है, बल्कि वे तलाल के लिए न्याय चाहते हैं। उन्होंने कहा कि 16 जुलाई को निमिषा की सजा रद्द नहीं हुई थी, जैसा कि भारतीय ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय ने दावा किया था।


अब्दुल फतह महदी ने यह भी कहा कि उनकी भारतीय ग्रैंड मुफ्ती से कोई बातचीत नहीं हुई है। तलाल का परिवार किसी भी मध्यस्थता से दूर रहना चाहता है। यदि निमिषा की सजा रद्द होने की बात सच होती, तो तलाल का परिवार सबसे पहले इसकी घोषणा करता।


निमिषा प्रिया का मामला क्या है?

निमिषा प्रिया, एक भारतीय नर्स, को यमन में अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के लिए 2020 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। वह 2017 से सना की जेल में हैं। 16 जुलाई 2025 को उन्हें फांसी दी जानी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया।


यह दावा किया गया था कि भारतीय ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद के हस्तक्षेप से फांसी की सजा टाली गई, लेकिन पीड़ित परिवार ने इस दावे को खारिज कर दिया है। निमिषा की मां ने पीड़ित परिवार को 8.6 करोड़ की ब्लड मनी का प्रस्ताव दिया है, लेकिन परिवार प्रतिशोध की मांग पर अड़ा हुआ है।


भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कौन हैं?

शेख अबूबकर अहमद भारत के 10वें ग्रैंड मुफ्ती हैं, जिन्हें 2019 में पद सौंपा गया था। वे सुन्नी मुस्लिम समुदाय के नेता हैं और ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा के महासचिव हैं। उन्होंने यमन के सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज के साथ मिलकर निमिषा के परिवार और तलाल के परिवार के बीच बातचीत का रास्ता खोला है, ताकि शरिया कानून के तहत 'ब्लड मनी' के जरिए निमिषा को माफी की संभावना तलाशी जा सके।