नीतीश कुमार: बिहार के मुख्यमंत्री का राजनीतिक सफर और उपलब्धियां
नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनने का सफर
नीतीश कुमार ने 2000 में केवल 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री का पद संभाला था। अब, 24 साल बाद, वे बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में 9वीं बार कार्यरत हैं। 22 फरवरी 2015 से वे बिहार के 22वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं, और यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। वे बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता माने जाते हैं।
प्रारंभिक जीवन
प्रारंभिक जीवन
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में हुआ। उनके पिता कविराज राम लखन सिंह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, जबकि उनकी माँ परमेश्वरी देवी नेपाल से थीं। नीतीश कुमार कुर्मी जाति के किसान परिवार से हैं और उनका उपनाम 'मुन्ना' है। उनका पैतृक गाँव कल्याण बिगहा, नालंदा जिले में स्थित है।
शिक्षा और विवाह
शिक्षा
नीतीश कुमार ने 1972 में बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग (अब एनआईटी पटना) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। उन्होंने बिहार राज्य बिजली बोर्ड में कुछ समय काम किया, लेकिन बाद में राजनीति में कदम रखा।
विवाह
उन्होंने 22 फरवरी 1973 को मंजू कुमारी सिन्हा से विवाह किया, जिनका 14 मई 2007 को निधन हो गया। उनके एक बेटा भी है।
राजनीतिक करियर
राजनीतिक कैरियर
नीतीश कुमार समाजवादी विचारधारा के राजनेता हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत राम मनोहर लोहिया, एसएन सिन्हा, कर्पूरी ठाकुर और वीपी सिंह के साथ की। 1974 से 1977 के बीच, उन्होंने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में भाग लिया और जनता पार्टी में शामिल हुए। 1985 में हरनौत से विधानसभा चुनाव जीतकर उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की।
नीतीश कुमार ने 22 फरवरी 2015 से बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करना शुरू किया। इससे पहले, वे 2005 से 2014 तक और 2000 में थोड़े समय के लिए इस पद पर रह चुके हैं। उन्होंने केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में भी कार्य किया है। 2014 के आम चुनावों में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद, उन्होंने 17 मई 2014 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, लेकिन फरवरी 2015 में फिर से पद ग्रहण किया।
नीतीश कुमार ने 10 अप्रैल 2016 को अपनी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त किया। 26 जुलाई 2017 को, उन्होंने राजद के साथ मतभेदों के कारण मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, लेकिन कुछ घंटों बाद एनडीए में शामिल होकर फिर से मुख्यमंत्री बने। यह उनके समाजवादी राजनीतिक बैकग्राउंड का परिणाम है, जो उन्हें जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया जैसे नेताओं से मिली है।