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नूंह कोर्ट ने बिजली विभाग के अधिकारियों को लापरवाही के लिए दोषी ठहराया

नूंह की अदालत ने बिजली विभाग के तीन अधिकारियों को लापरवाही के लिए दोषी ठहराया है। यह मामला 2015 में गोपीचंद की ट्रांसफार्मर की चपेट में आने से हुई मृत्यु से संबंधित है। मृतक की पत्नी ने न्याय के लिए संघर्ष किया, जिसके परिणामस्वरूप अदालत ने अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की। जानें इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में और इसके पीछे की कहानी।
 

बिजली अधिकारी दोषी ठहराए गए

नूंह की अदालत ने बिजली विभाग के अधिकारियों को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया: नूंह जिले की स्थानीय अदालत ने बिजली निगम के तीन अधिकारियों—XEN कुलदीप अत्री, SDO राजीव शर्मा और JE राशिद को IPC की धारा 304A के तहत दोषी पाया है। यह मामला जनवरी 2015 का है, जब गोपीचंद नामक व्यक्ति की ट्रांसफार्मर की चपेट में आने से मृत्यु हो गई थी।


मृतक की पत्नी ने दर्ज कराया मामला

गोपीचंद की पत्नी शशिबाला ने तीनों अधिकारियों पर लापरवाही से मौत का आरोप लगाते हुए जिला अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। अदालत ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर तीनों को दोषी ठहराया।


सजा पर रोक लगाई गई

कोर्ट ने दोषियों की सजा पर फिलहाल रोक लगाई: सीजेएम नूंह छवि गोयल की अदालत ने तीनों अधिकारियों को दोषी मानते हुए IPC 304A के तहत कार्रवाई की। हालांकि, दोषी ठहराए जाने के बाद तीनों ने अपील करने की अर्जी दी। अदालत ने अपील स्वीकार करते हुए सजा और जुर्माने पर बहस को एक महीने के लिए स्थगित कर दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।


लापरवाही का बड़ा संदेश

यह फैसला बिजली विभाग में लापरवाही और जवाबदेही के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। आमतौर पर ऐसे मामलों में कार्रवाई में समय लगता है, लेकिन इस मामले में अदालत ने अधिकारियों की जिम्मेदारी को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया है।


न्याय की ओर बढ़ता कदम

ट्रांसफार्मर हादसे से शुरू हुआ न्याय का सफर: गोपीचंद की मृत्यु एक साधारण दुर्घटना नहीं थी। यह एक ऐसी घटना थी, जिसमें सिस्टम की लापरवाही ने एक जान ले ली। ट्रांसफार्मर की स्थिति को लेकर पहले भी कई बार शिकायतें की गई थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।


शशिबाला की न्याय की लड़ाई

शशिबाला ने हार नहीं मानी और न्याय के लिए संघर्ष करती रहीं। अंततः अदालत ने उनकी बात को सही ठहराया और दोषियों को सजा के करीब पहुंचा दिया। यह मामला न केवल बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि आम जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी करता है।