नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री सुशीला कार्की: क्या है उनके नेतृत्व का उद्देश्य?
सुशीला कार्की का पदभार ग्रहण
नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने हाल ही में अपने पद का कार्यभार संभाला है। यह राजनीतिक परिवर्तन तब आया जब जनरेशन ज़ेड (जेन-जेड) के नेतृत्व में हुए जनआंदोलन ने केपी शर्मा ओली की सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। पदभार ग्रहण करते समय कार्की ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार का उद्देश्य सत्ता में बने रहना नहीं, बल्कि जनता की सेवा करना है। उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से एकजुट होकर देश के पुनर्निर्माण में सहयोग करने की अपील की।
कार्की का कार्यकाल और नई सरकार का गठन
छह महीने का कार्यकाल
पूर्व मुख्य न्यायाधीश 73 वर्षीय कार्की ने कहा कि वे इस पद पर छह महीने से अधिक नहीं रहेंगी और नई संसद के गठन के बाद सत्ता हस्तांतरित कर देंगी। उन्होंने मंत्रिमंडल के गठन की संभावना भी व्यक्त की। कार्की ने कहा कि हम यहां सत्ता का आनंद लेने नहीं आए हैं, बल्कि छह महीने के भीतर नई सरकार को जिम्मेदारी सौंप देंगे।
विरोध प्रदर्शन और उनकी परिणति
8 सितंबर को काठमांडू समेत कई शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के बीच शुरू हुए ये आंदोलन भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता के खिलाफ गुस्से का प्रतीक बन गए। इन प्रदर्शनों में हुई हिंसा में कम से कम 51 लोगों की जान गई और 1300 से अधिक लोग घायल हुए। इसके बाद 9 सितंबर को प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा दे दिया।
शहीदों को सम्मान और सहायता
मृतकों को शहीद का दर्जा
प्रधानमंत्री कार्की ने घोषणा की कि इन आंदोलनों में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिया जाएगा। उनके परिवारों को 10 लाख रुपये की सहायता और घायलों को चिकित्सा व आर्थिक मदद प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए हैं। कार्की ने कहा कि सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को जानबूझकर निशाना बनाया गया, जो कि एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है।
देश में सामान्य स्थिति की वापसी
देश में धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है। कर्फ्यू हटा लिया गया है और जनजीवन सामान्य हो रहा है। इस बीच, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्की को बधाई देते हुए उन्हें महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बताया। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने संसद भंग कर मार्च 2026 में आम चुनाव की घोषणा की है।