नेपाल की राजनीति में नया मोड़: सुशीला कार्की बन सकती हैं अंतरिम प्रधानमंत्री
नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल
सुशीला कार्की कौन हैं: नेपाल इस समय राजनीतिक संकट और हिंसा का सामना कर रहा है। हाल में हुए तख्तापलट और रक्तपात के बाद, देश में नई सरकार के गठन की चर्चा तेज हो गई है। पहले, प्रदर्शनकारी काठमांडू के मेयर बालेन शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।
हालिया घटनाक्रम में, नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में तेजी से उभर रहा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव ने बताया कि बड़ी संख्या में जेन-जी युवाओं ने वर्चुअल मीटिंग में उनके नाम पर सहमति जताई है, जिसमें पांच हजार से अधिक युवा शामिल हुए थे।
राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा नेपाल
राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा नेपाल
नेपाल पिछले तीन दिनों से भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ प्रदर्शनों से जूझ रहा है। इन हालात में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद बालेन शाह का नाम सामने आया, लेकिन उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मांग को मानने से इनकार कर दिया। ऐसे में सुशीला कार्की को एक उपयुक्त विकल्प माना जाने लगा है।
सुशीला कार्की का प्रेरणादायक जीवन
सुशीला कार्की का जीवन सफर प्रेरणादायक रहा है। उनका जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर के कार्की परिवार में हुआ। वह नेपाल की पहली और अब तक की एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्होंने 2016 में सुप्रीम कोर्ट की कमान संभाली और 2017 तक इस पद पर रहीं। वह अपने माता-पिता की सात संतान में सबसे बड़ी हैं।
शिक्षा और करियर
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रैजुएशन
उनकी शिक्षा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैली हुई है। उन्होंने 1972 में विराटनगर के महेंद्र मोरंग कैंपस से बीए की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 1975 में वाराणसी की बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रैजुएशन किया। 1978 में त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से बैचलर की डिग्री ली और 1979 से विराटनगर में वकालत शुरू की। इसके अलावा, उन्होंने असिस्टेंट टीचर के रूप में भी कार्य किया।
2009 में, उन्हें नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में एडहॉक जज नियुक्त किया गया। सात साल बाद, 2016 में, वे देश की पहली महिला सीजेआई बनीं। अपने कार्यकाल के दौरान, कार्की ने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए और न्यायपालिका में अपनी सख्त और निष्पक्ष छवि बनाई। यही कारण है कि वर्तमान परिस्थितियों में उन्हें एक निष्पक्ष और विश्वसनीय चेहरा माना जा रहा है।