नेपाल में केपी शर्मा ओली की राजनीतिक वापसी: क्या युवा पीढ़ी का दबाव बदल देगा खेल?
ओली की पहली सार्वजनिक उपस्थिति
पूर्व नेपाली प्रधानमंत्री और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने शनिवार को भक्तपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में पहली बार सार्वजनिक रूप से भाग लिया। यह कार्यक्रम पार्टी की छात्र इकाई, राष्ट्रीय युवा संघ द्वारा आयोजित किया गया था। उनकी इस उपस्थिति को उनकी राजनीतिक वापसी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब उन्हें हाल ही में ज़ेन जेड (Gen Z) विरोध प्रदर्शनों के दबाव में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
ओली ने अपने कार्यकाल का बचाव किया
ओली ने अपने कार्यकाल का किया बचाव
73 वर्षीय ओली की उपस्थिति को पार्टी की युवा शाखा के साथ जुड़ने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जो सरकार के प्रदर्शन पर सबसे बड़ा आलोचक रहा है। कार्यक्रम के दौरान, ओली ने अपने कार्यकाल का बचाव करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने कभी भी प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह जांच होनी चाहिए कि स्वचालित हथियार किसने इस्तेमाल किए, क्योंकि पुलिस के पास ऐसे हथियार नहीं थे।
हालांकि, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने जानबूझकर सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, जिससे देश की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
प्रदर्शनों में हुई मौतों का आंकड़ा
प्रदर्शनों के दौरान 74 से अधिक लोगों की मौत
नेपाल में इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान 74 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिनमें अधिकांश युवा थे। यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब सरकार ने फेसबुक, एक्स और यूट्यूब सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। हालांकि, बाद में यह आदेश वापस ले लिया गया, लेकिन प्रदर्शन जारी रहे और अंततः ओली सरकार को सत्ता से हटना पड़ा।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें पारदर्शिता, जवाबदेही और व्यापक सुधारों की थीं। गुस्साए युवाओं ने सिंह दरबार, सर्वोच्च न्यायालय, संघीय संसद और राष्ट्रपति भवन जैसी सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता और तनाव बढ़ गया।
नए चुनावों की तैयारी
2026 तक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
स्थिति को संभालने के लिए नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनकी प्राथमिकता मार्च 2026 तक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है। कार्की सरकार ने चुनाव सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अध्यादेश जारी किया है, जिसके तहत 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके नागरिकों को मतदान का अधिकार मिलेगा।
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि नेपाल की राजनीति में युवा पीढ़ी की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। ओली की वापसी उन्हें पार्टी के भीतर ताकत दे सकती है, लेकिन जनता की नाराज़गी और नई अंतरिम सरकार की पारदर्शिता उनके राजनीतिक भविष्य को तय करेगी।