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नेपाल में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच कर्फ्यू लागू

नेपाल में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के चलते भैरहवा सीमा पर कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। प्रदर्शनकारी बदलाव की मांग कर रहे हैं, जबकि प्रमुख राजनीतिक दल भी प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ सोशल मीडिया पर प्रतिबंध भी लगाया गया है, जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठ रहे हैं। जानें इस संकट की पूरी कहानी और नेपाल की वर्तमान स्थिति के बारे में।
 

नेपाल में कर्फ्यू का ऐलान

नेपाल ने भारत से सटी भैरहवा सीमा पर कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया है, जबकि विरोध प्रदर्शनों में तेजी आई है। तराई क्षेत्र के विभिन्न शहरों में प्रदर्शनकारी बदलाव की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। लुंबिनी ज़िले में भैरहवा सीमा पर यह कर्फ्यू अशांति को नियंत्रित करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के प्रयासों का हिस्सा है। प्रमुख राजनीतिक दल, जैसे सीपीएन (माओवादी सेंटर) और सीपीएन (एकीकृत समाजवादी), भी इस संकट के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इस स्थिति के मद्देनजर, पीएम ओली और राष्ट्रपति के आवासों के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।


सुरक्षा बलों की तैनाती

सैन्य अधिकारियों ने बताया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को तैनात किया गया है। काठमांडू जिला प्रशासन ने संसद भवन के आसपास के क्षेत्रों में अशांति को रोकने के लिए अपराह्न 12:30 बजे से रात 10:00 बजे तक निषेधाज्ञा लागू की है। मुख्य जिला अधिकारी छवि लाल रिजाल ने एक नोटिस में कहा कि प्रतिबंधित क्षेत्र में लोगों के आवागमन, प्रदर्शन, बैठक, सभा या धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं होगी। स्थानीय प्रशासन ने बाद में ये प्रतिबंध राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय के आसपास भी लागू कर दिए हैं।


सोशल मीडिया पर प्रतिबंध

नेपाल सरकार ने अनिवार्य पंजीकरण प्रक्रिया का पालन न करने पर चार सितंबर को फेसबुक, व्हाट्सऐप और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार का कहना है कि यह प्रतिबंध इन प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिए लगाया गया है, लेकिन आम जनता में यह धारणा है कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला होगा और सेंसरशिप की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।