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नेपाल में युवा प्रदर्शनकारियों का उग्र विरोध, हिल्टन होटल को आग के हवाले किया

नेपाल में युवा प्रदर्शनकारियों ने हाल ही में हिल्टन होटल को आग के हवाले कर दिया, जिससे देश में राजनीतिक संकट गहरा गया है। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और अन्य सरकारी इमारतों को भी नुकसान पहुँचाया। सेना ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लागू किया है। जानें इस उग्र विरोध की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारण।
 

नेपाल में उग्र प्रदर्शन

नेपाल में युवाओं के विरोध प्रदर्शनों ने राजनीतिक व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, राजनीतिक दलों के कार्यालयों, और मंत्रियों के निवासों को आग के हवाले कर दिया। काठमांडू के प्रमुख हिल्टन होटल को भी नहीं बख्शा गया, और यह पूरी तरह जलकर खाक हो गया।


हिल्टन होटल का महत्व

हिल्टन होटल केवल एक लक्ज़री आवास नहीं है, बल्कि यह नेपाल की सांस्कृतिक और वास्तुशिल्पीय धरोहर का प्रतीक भी है। इसकी वास्तुकला आधुनिकता के साथ-साथ नेपाल की समृद्ध परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य को भी दर्शाती है।


प्रदर्शन की तस्वीरें


होटल की अनोखी पहचान

होटल के चमकदार अग्रभाग पर बौद्ध प्रार्थना झंडियों से प्रेरित ऊर्ध्वाधर कांच के पैनल लगे हैं, जो इसे एक विशेष पहचान देते हैं। ये पैनल दिन के उजाले में रंग बदलते हैं, जिससे एक जीवंत दृश्य उत्पन्न होता है। सूर्यास्त के बाद, ये पैनल और भी चमकदार हो जाते हैं, रंगों की एक मनमोहक छटा बिखेरते हैं।


सेना की कार्रवाई

सेना ने संभाला कमान


पिछली रात सुरक्षा अभियानों की जिम्मेदारी संभालने के बाद, नेपाल की सेना ने बुधवार को घोषणा की कि कर्फ्यू का आदेश पूरे दिन लागू रहेगा और यह गुरुवार को भी जारी रहेगा। सेना ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सेना ने लूटपाट और जेल तोड़ने की घटनाओं पर कार्रवाई तेज कर दी है। महाराजगंज में लूटपाट में शामिल चार व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है, जबकि अन्य संदिग्ध व्यक्ति कुछ नकदी और लूटी गई वस्तुएं छोड़कर भाग गए।


स्थानीय स्थिति

काठमांडू से आई तस्वीरों में सेना के जवान राजधानी में गश्त करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि स्थानीय लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त हैं। हालांकि, मंगलवार की हिंसा के बाद शहर पर असर पड़ा है, और एक नेपाली मीडिया चैनल के मुख्यालय से अभी भी धुएं के गुबार उठ रहे हैं। जेनरेशन ज़ेड के प्रदर्शनकारियों के आंदोलन ने संसद, सुप्रीम कोर्ट और अन्य सरकारी इमारतों को भारी नुकसान पहुँचाया है।