नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता: 17 वर्षों में 13 सरकारों का असफल कार्यकाल
नेपाल में नई सरकार की तैयारी
नेपाल में हालिया हिंसा के बाद एक नई अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कुलमन घीसिंग इस समय प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे प्रमुख उम्मीदवार माने जा रहे हैं। हालांकि, नेपाल का भविष्य और नया प्रधानमंत्री कौन बनेगा, यह समय ही बताएगा। वर्तमान में, सेना ने जनरेशन जेड के हिंसक प्रदर्शनों को नियंत्रित किया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह स्थिति कब तक बनी रहेगी।
राजनीतिक अस्थिरता का इतिहास
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का यह माहौल नया नहीं है। सेना ने पहले भी इमरजेंसी के दौरान कानून-व्यवस्था को बनाए रखा है। यह छोटा सा देश, जो हिमालय के पास स्थित है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और जटिल राजनीतिक इतिहास के लिए जाना जाता है।
भ्रष्टाचार का उदय
नेपाल के इतिहास पर गौर करें तो 2008 के बाद से यहां लगभग 17 बार विभिन्न सरकारें बनी हैं, लेकिन कोई भी सरकार अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल नहीं पूरा कर सकी। नेपाल में राजशाही, लोकतंत्र और गृहयुद्ध ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है।
सेना की भूमिका
2005 में राजा ज्ञानेंद्र के शासन के दौरान आपातकाल के समय सेना ने विद्रोहियों को नियंत्रित किया था। हालिया अस्थिरता में भी सेना बख्तरबंद वाहनों के साथ सड़कों पर उतरी है, लेकिन यह पूरी तरह से सैन्य शासन नहीं है। अब तक, नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों में 30 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
लोकतंत्र की स्थापना
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जनता को चुनी हुई सरकार सैन्य शासन से अधिक पसंद है। 2008 में नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हुई थी, और तब से चुनी हुई सरकारें संविधान के तहत कार्य कर रही हैं।