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नेपाल में राजनीतिक संकट: नेताओं का संयुक्त बयान और शोक संवेदनाएं

नेपाल में राजनीतिक संकट के चलते प्रतिनिधि सभा और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्षों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इस बयान में जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए जान-माल के नुकसान पर शोक व्यक्त किया गया है। नेताओं ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और कानून के शासन की आवश्यकता पर जोर दिया। बयान में आगजनी और तोड़फोड़ से हुई क्षति का भी उल्लेख किया गया है। इस संकट के बीच, नेताओं ने एक मजबूत लोकतंत्र के लिए सभी से अपील की है।
 

नेपाल में राजनीतिक संकट पर संयुक्त बयान

नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट के संदर्भ में, प्रतिनिधि सभा और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्षों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है कि 23 और 24 दिसंबर, 2082 को हुए जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए जान-माल के नुकसान से हम अत्यंत दुखी हैं। हम उन सभी युवाओं और पुलिस अधिकारियों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपनी जान गंवाई। साथ ही, हम शोक संतप्त परिवारों के प्रति भी अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हैं। हम उन सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं और संबंधित राज्य तंत्र से आग्रह करते हैं कि उपचार में कोई कमी न हो। 


आगजनी और तोड़फोड़ से हुई क्षति

बयान में आगे कहा गया है कि 24 भाद्रपद, 2082 को हुई आगजनी और तोड़फोड़, जिसमें संघीय संसद भवन, सिंह दरबार में संघीय संसद सचिवालय और विभिन्न सरकारी कार्यालय शामिल हैं, ने देश को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है। इस आगजनी से न केवल सरकारी संपत्ति को नुकसान हुआ है, बल्कि ऐतिहासिक दस्तावेजों को भी खतरा हुआ है। वर्तमान राष्ट्रीय स्थिति पर प्रकाश डालते हुए, संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि माननीय राष्ट्रपति जी संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे जनता की संप्रभुता, नागरिक स्वतंत्रता, भौगोलिक अखंडता, राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता को सुरक्षित रखा जा सके। इस संदर्भ में, हम कानून के शासन और संविधानवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। 


नेताओं की अपील

वक्तव्य के अंत में नेताओं ने अपील की है कि सभी आंदोलनकारी दलों की मांगों पर ध्यान देकर एक उन्नत, समृद्ध और मजबूत लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध रहें। यह अपील ऐसे समय में की गई है जब नेपाल में जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 51 हो गई है। स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों से इस अशांति की मानवीय कीमत का पता चलता है। मंत्रालय ने पुष्टि की है कि इनमें से 30 लोग गोली लगने से मारे गए, जबकि 21 अन्य जलने, घायल होने और अन्य चोटों के कारण दम तोड़ चुके हैं।