नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ उग्र प्रदर्शन, 19 की मौत
नेपाल में बढ़ते जनविरोध
काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ 'जेन जी' द्वारा शुरू किया गया आंदोलन अब एक बड़े जनविरोध में बदल चुका है। इस हिंसक प्रदर्शन में अब तक 19 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 8 की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शन में शामिल हो रहे लोग
सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को युवा, बुजुर्ग और परिवार के सदस्य भी प्रदर्शन में भाग लेंगे।
कर्फ्यू और सुरक्षा उपाय
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को तैनात किया गया है और काठमांडू के चार प्रमुख क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू किया गया है। कर्फ्यू वाले क्षेत्रों में शीतल निवास (राष्ट्रपति कार्यालय), महाराजगंज, ग्रीन हाउस (उपराष्ट्रपति कार्यालय), लैंचौर, नारायणहिती दरबार संग्रहालय और सिंह दरबार शामिल हैं।
इन क्षेत्रों में रात 10 बजे तक किसी भी व्यक्ति के बाहर निकलने, प्रदर्शन, सभा या जुलूस पर पूरी तरह से रोक है। प्रशासन का कहना है कि कर्फ्यू का उद्देश्य स्थिति को नियंत्रित करना और सुरक्षा बनाए रखना है।
मौतों की संख्या में वृद्धि
अस्पतालों के सूत्रों के अनुसार, काठमांडू के विभिन्न अस्पतालों में 17 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 8 की मौत नेशनल ट्रॉमा सेंटर में, 3 की एवरेस्ट अस्पताल में, 3 की सिविल अस्पताल में, 2 की काठमांडू मेडिकल कॉलेज में और एक की त्रिभुवन टीचिंग अस्पताल में हुई है।
इसी बीच, इटहरी (सुनसरी जिला) में गोली लगने से घायल दो प्रदर्शनकारियों की भी मौत हो गई है, जिससे कुल मृतकों की संख्या 19 हो गई है।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का कारण
यह विवाद तब शुरू हुआ जब 25 अगस्त को नेपाल कैबिनेट ने सभी सोशल मीडिया ऑपरेटरों को 7 दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश दिया। इसके बाद, 4 सितंबर को नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स (ट्विटर), व्हाट्सऐप और रेडिट जैसे 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया।
युवाओं द्वारा शुरू किया गया यह आंदोलन अब उग्र हो गया है। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और पुलिस पर पथराव किया, जिससे स्थिति बेकाबू हो गई। सुरक्षा बलों ने जवाब में आंसू गैस, पानी की बौछारें, रबर की गोलियां और फायरिंग का सहारा लिया।