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नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ उग्र प्रदर्शन: क्या है स्थिति?

नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ शांतिपूर्ण आंदोलन अब एक गंभीर स्थिति में बदल चुका है। काठमांडू समेत कई क्षेत्रों में हिंसा, आगजनी और लूटपाट की घटनाएं बढ़ रही हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा और सेना को स्थिति नियंत्रित करने के लिए तैनात किया गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल एक आंदोलन नहीं, बल्कि सत्ता परिवर्तन की सुनियोजित कोशिश है। जानें इस संकट के पीछे की वजहें और आगे की संभावनाएं।
 

नेपाल में बढ़ते विरोध प्रदर्शन

Nepal Protest: नेपाल में सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ शांतिपूर्ण आंदोलन अब एक गंभीर स्थिति में बदल चुका है। काठमांडू सहित विभिन्न क्षेत्रों में हिंसा, आगजनी और लूटपाट की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। पिछले दो दिनों में छात्रों का यह आंदोलन अब एक अराजक विद्रोह में तब्दील हो गया है, जिसे कुछ राजनीतिक और स्वार्थी तत्व सत्ता परिवर्तन के लिए भड़का रहे हैं।


प्रदर्शनकारियों का उग्र रूप

मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने हथियारों के साथ सड़कों पर उतरकर सरकारी इमारतों, पुलिस थानों और मॉल्स पर हमले किए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नेपाल की सेना को तैनात किया गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देकर सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है। इस समय काठमांडू और पूरे देश में तनाव का माहौल है।


शांतिपूर्ण आंदोलन से हिंसक विरोध तक

सोमवार को काठमांडू की सड़कों पर बड़ी संख्या में छात्र सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी मांग थी कि सरकार डिजिटल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप न करे। लेकिन 24 घंटे के भीतर ही यह विरोध हिंसक रूप ले चुका था। मंगलवार को प्रदर्शनकारियों के हाथों में हथियार देखे गए और अज्ञात समूहों ने सरकार विरोधी आंदोलन में शामिल होकर हिंसा को बढ़ावा दिया। राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, संसद और सुप्रीम कोर्ट तक प्रदर्शनकारी पहुंचे और वहां तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं।


लूटपाट और हमलों की घटनाएं

प्रदर्शन के दौरान लूटपाट की कई घटनाएं भी सामने आई हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी थानों में तोड़फोड़ की, कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और मॉल्स व बैंकों में घुसकर लूटपाट की। कई मंत्रियों के घरों को भी आग लगा दी गई और कुछ को सार्वजनिक रूप से पीटा गया।


सेना का हस्तक्षेप और ओली का इस्तीफा

स्थिति बिगड़ते देख प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सेना से सहायता मांगी थी, लेकिन पहले सेना ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। मंगलवार को हालात पूरी तरह बिगड़ते देख सेना को मोर्चा संभालने के लिए मजबूर होना पड़ा। ओली को इस्तीफा देना पड़ा और वे हेलिकॉप्टर से सुरक्षित स्थान पर चले गए।


विशेषज्ञों की चिंता

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल एक आंदोलन नहीं है, बल्कि सत्ता परिवर्तन की सुनियोजित कोशिश है। यह बांग्लादेश के मॉडल की तरह हो सकता है, जहां सामाजिक असंतोष के बहाने सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया होती है। हालांकि सेना ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं, लेकिन आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं।