नोटबंदी के 7 साल: क्या वाकई में काला धन खत्म हुआ?
नोटबंदी का ऐलान
नई दिल्ली: 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों को तत्काल प्रभाव से बंद करने की घोषणा की, तो पूरा देश चौंक गया। इस ऐलान ने हर जगह एक ही सवाल खड़ा कर दिया: अब आगे क्या होगा?
कैश की कमी का संकट
नोटबंदी के तुरंत बाद, एटीएम और बैंकों के बाहर लंबी कतारें लग गईं। पुराने नोट अमान्य हो गए थे और नए नोटों की उपलब्धता बहुत कम थी। छोटे व्यवसायों और ग्रामीण क्षेत्रों को इसका सबसे अधिक नुकसान हुआ। लोग घंटों तक कतार में खड़े रहे, और कई स्थानों पर तनाव और अफरा-तफरी की घटनाएँ भी हुईं।
स्थिति को सुधारने के लिए, RBI ने जल्दी में 2000 रुपये का नया नोट जारी किया। इसके बाद 500 रुपये का नया नोट भी आया, लेकिन सिस्टम को सामान्य होने में कई महीने लग गए।
2000 रुपये का नोट: एक और बदलाव
2016 में लाए गए 2000 रुपये के नोट को 2023 में सिस्टम से बाहर कर दिया गया। हालांकि, यह नोट अभी भी कानूनी रूप से मान्य है, लेकिन बैंक इसे जारी नहीं कर रहे हैं। यह स्थिति इस बात का संकेत है कि नोटबंदी के बाद उठाए गए कई कदम स्थायी नहीं रहे।
क्या नोटबंदी ने अपने लक्ष्यों को पूरा किया?
सरकार का दावा था कि काला धन समाप्त होगा, नकली नोटों पर रोक लगेगी और आतंक फंडिंग पर अंकुश लगेगा। लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। बंद किए गए 15.44 लाख करोड़ रुपये में से 15.31 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए, यानी लगभग 99% नोट वापस जमा हो गए। काला धन पकड़ने का दावा कमजोर पड़ गया।
हालांकि नकली नोटों में कमी आई है, लेकिन वे पूरी तरह से समाप्त नहीं हुए हैं। आज भी देश में नकली करेंसी की जब्ती होती रहती है।
नोटबंदी का सकारात्मक प्रभाव
नोटबंदी का एक स्थायी लाभ डिजिटल भुगतान में वृद्धि है। पहले जिन ऐप्स का उपयोग केवल शहरी लोग करते थे, वे अब पूरे देश में लोकप्रिय हो गए हैं। Paytm, PhonePe, Google Pay और UPI ने गांव-गांव में लेनदेन के तरीके को बदल दिया है।
आज UPI के माध्यम से रोजाना 14 करोड़ से अधिक लेनदेन होते हैं, जो 2016 की तुलना में लगभग 1000 गुना अधिक है। चाय बेचने वाले, सब्जीवाले और छोटे दुकानदार सभी QR कोड से भुगतान स्वीकार करते हैं।
नोटबंदी का समापन
नोटबंदी ने छोटे उद्योगों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और नकद आधारित व्यवसायों को गंभीर नुकसान पहुँचाया। GDP पर भी इसका प्रभाव पड़ा। क्या काला धन समाप्त हुआ? इसका उत्तर आज भी राजनीतिक और आर्थिक चर्चाओं का विषय है। नौ साल बाद भी, नोटबंदी एक ऐसा निर्णय है जिसने देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की यादों में गहरा प्रभाव छोड़ा है।