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पंजाब में 115 सरकारी स्कूलों का नामकरण स्वतंत्रता सेनानियों और प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम पर

पंजाब सरकार ने 115 सरकारी स्कूलों का नाम स्वतंत्रता सेनानियों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम पर रखने का निर्णय लिया है। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों को इन महान व्यक्तियों के बलिदानों और योगदानों से अवगत कराना है। मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने बताया कि स्कूलों में इनकी तस्वीरें और जीवन विवरण प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके साथ ही, नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक नया पाठ्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है।
 

पंजाब सरकार का नया कदम

चंडीगढ़: पंजाब के स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने सोमवार को जानकारी दी कि राज्य सरकार ने 115 सरकारी स्कूलों के नाम स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम पर रखने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने 18 जुलाई, 2025 को 25 सरकारी स्कूलों का नाम विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों के नाम पर रखा था। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने हाल ही में ऐलान किया कि जालंधर जिले के ब्यास गांव के स्कूल का नाम प्रसिद्ध मैराथन धावक सरदार फौजा सिंह के नाम पर रखा जाएगा, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं।


पंजाब भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री बैंस ने कहा कि सरकार ने इन महान व्यक्तियों की तस्वीरें और उनके जीवन का संक्षिप्त विवरण स्कूलों में प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है, ताकि छात्र उनके बलिदानों और योगदानों से अवगत हो सकें और प्रेरणा ले सकें। यह कदम उनकी विरासत को सम्मानित करने के लिए भी है। इन 115 स्कूलों का नामकरण गदर लहर के नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों और पंजाब की प्रसिद्ध शख्सियतों के सम्मान में किया गया है। बैंस ने बताया कि पंजाब सरकार ने 2023 में खटकड़ कलां के सरकारी हाई स्कूल का नाम बदलकर शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह सरकारी हाई स्कूल रखा था, जो इस महान शहीद की शहादत के दशकों बाद किया गया।


बैंस ने आगे कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग विद्यार्थियों को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है, जो नशे के खिलाफ एक मजबूत आधार स्थापित करेगा। सिख इतिहास को राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग पर उन्होंने कहा कि यह कदम स्वागत योग्य है। उन्होंने यह भी कहा कि सिख इतिहास को सही तरीके से प्रस्तुत किया जाना चाहिए, ताकि इसकी वास्तविक महत्ता को उजागर किया जा सके।