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पंजाब में आठ दवाओं पर लगा प्रतिबंध, स्वास्थ्य विभाग की सख्त कार्रवाई

पंजाब में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप के बाद आठ अन्य दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय मरीजों में दवाओं के सेवन के बाद हुई प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं की शिकायतों के आधार पर लिया गया है। सरकार ने सभी दवा विक्रेताओं और अस्पतालों को इन दवाओं की बिक्री और उपयोग तुरंत बंद करने के निर्देश दिए हैं। जानें इन दवाओं की सूची और स्वास्थ्य विभाग की अपील के बारे में।
 

पंजाब में दवाओं पर प्रतिबंध

चंडीगढ़- पंजाब में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के बाद अब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय ने आठ अन्य दवाओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस आदेश के तहत इन दवाओं की निर्माण बैच संख्या को तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया गया है, जिससे इनका उपयोग, बिक्री या वितरण पूरी तरह से निषिद्ध हो गया है। यह कदम मरीजों द्वारा दवाओं के सेवन के बाद हुई प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं की शिकायतों के आधार पर उठाया गया है। इन दवाओं का उत्पादन राज्य की तीन दवा कंपनियों द्वारा किया जा रहा था।


दवा विक्रेताओं और अस्पतालों के लिए निर्देश

सरकार ने सभी दवा विक्रेताओं, वितरकों, पंजीकृत चिकित्सकों, अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे इन दवाओं की खरीद, बिक्री या उपयोग तुरंत बंद करें। यदि राज्य में इन दवाओं का कोई स्टॉक पाया गया, तो उसकी सूचना खाद्य एवं औषधि प्रशासन को देने के आदेश दिए गए हैं।


प्रतिबंधित दवाओं की सूची

नॉर्मल सलाइन 0.9%
शरीर में पानी और लवण की कमी को पूरा करने के लिए दी जाने वाली यह दवा अब प्रतिबंधित है।


डेक्सट्रोज इंजेक्शन 5%
यह दवा नसों के माध्यम से दी जाती है और शरीर को पानी और ऊर्जा (शुगर) प्रदान करती है।


सिप्रोफ्लॉक्सासिन 200mg
यह एक एंटीबायोटिक दवा है जो गले, नाक, त्वचा, और फेफड़ों के संक्रमण में दी जाती है।


DNS (डेक्सट्रोज + नॉर्मल सलाइन)
यह IV फ्लूड हाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन के लिए दी जाती है।


एन-2 डेक्सट्रोज 5% IV फ्लूड
यह ऑपरेशन या चोट के बाद शरीर को तरल और ऊर्जा देने के लिए प्रयोग की जाती है।


बुपीवाकेन एचसीएल विद डेक्सट्रोज इंजेक्शन
यह दर्द निवारण और ऊर्जा देने वाली दवा है, जिसे अस्थायी रूप से प्रतिबंधित किया गया है।


फार्मा कंपनियों की जांच

स्वास्थ्य विभाग ने जिन बैचों की शिकायतें प्राप्त की हैं, वे प्रदेश की तीन दवा कंपनियों से संबंधित हैं। इन कंपनियों के उत्पादन संयंत्रों से नमूने लेकर जांच शुरू कर दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने तक इन उत्पादों पर रोक जारी रहेगी।


स्वास्थ्य विभाग की अपील

विभाग ने जनता से अपील की है कि यदि किसी के पास ये दवाएं मौजूद हैं तो उनका उपयोग न करें और नजदीकी मेडिकल स्टोर या प्रशासनिक अधिकारी को इसकी जानकारी दें। सरकार का कहना है कि जनस्वास्थ्य की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।