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पंजाब सरकार की धान खरीद में विफलता पर तरुण चुघ की कड़ी प्रतिक्रिया

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ ने पंजाब सरकार की धान खरीद की तैयारियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों को गलत सलाह देकर उन्हें गलत किस्म का धान बोने के लिए मजबूर किया, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ। चुघ ने कहा कि इस वर्ष भी सरकार ने वही गलतियाँ दोहराई हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया और मांग की कि राज्य सरकार को पारदर्शी नीतियाँ लागू करनी चाहिए।
 

पंजाब सरकार की तैयारी पर सवाल

चंडीगढ़: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ ने सोमवार को पंजाब सरकार की धान खरीद की तैयारियों को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मामले में पूरी तरह असफल रही है। चुघ ने बताया कि पिछले वर्ष किसानों को गलत सलाह देकर उन्हें गलत किस्म का धान बोने के लिए मजबूर किया गया, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के योग्य नहीं रही। इससे किसानों को बाज़ार में कम दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होना पड़ा, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।


चुघ ने आगे कहा कि इस वर्ष भी मान सरकार ने वही गलती दोहराई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने हाइब्रिड किस्मों और पूसा-44 पर प्रतिबंध लगाने की बड़ी-बड़ी घोषणाएं की हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि राज्य के 50 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में अभी भी वही पुरानी किस्में बोई जा रही हैं।


उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने केंद्र की योजनाओं का दुरुपयोग करते हुए धान और चावल की ढुलाई के ठेके अपने करीबी लोगों को दे रखे हैं। ट्रांसपोर्ट में देरी और लिफ्टिंग में समस्या के कारण चावल मिलर्स को समय पर चावल अन्य राज्यों में भेजने में कठिनाई होती है, जिससे पंजाब के कृषि उद्योग को नुकसान होता है और केंद्र सरकार की पारदर्शी खरीद प्रणाली प्रभावित होती है।


चुघ ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा किया है। उन्होंने बताया कि इस बार पंजाब में 180 लाख टन से अधिक धान की फसल की उम्मीद है, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक केवल 40 लाख टन की भंडारण क्षमता तैयार की है। उन्होंने कहा कि वर्षों से चेतावनियां दी जा रही हैं, लेकिन मान सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।


उन्होंने केंद्र की ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी सरकार हर साल 24,000 करोड़ रुपये का निवेश करके कृषि अवसंरचना को मजबूत कर रही है। पंजाब को भी केंद्र से हर संभव सहायता मिल रही है, लेकिन अब राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक अनुशासन की आवश्यकता है, जो मान सरकार में पूरी तरह से गायब है। चुघ ने मांग की कि राज्य सरकार को तुरंत पारदर्शी और मिलर-हितैषी मिलिंग नीति लागू करनी चाहिए और केंद्र से मिले फंड का समय पर और ईमानदारी से उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए।