पंजाब सरकार ने ज़ीरकपुर पंचकूला बाइपास परियोजना को दी नई गति
परियोजना की प्रगति और महत्व
पंजाब सरकार ने 1878 करोड़ रुपये की ज़ीरकपुर पंचकूला बाइपास परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। लंबे समय से लंबित स्टेज टू वन क्लियरेंस को अब राज्य के वन सचिव ने मंजूरी देने की सिफारिश करते हुए फाइल वन मंत्री को भेज दी है। इससे ट्राइसिटी की ट्रैफिक समस्या के समाधान की उम्मीदें फिर से जागृत हुई हैं.
हालिया निर्णय का महत्व
पंजाब के वन विभाग ने आखिरकार उस फाइल को आगे बढ़ा दिया है, जो कई महीनों से अटकी हुई थी। यह मंजूरी आवश्यक थी, जिसके बिना नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया इस परियोजना का ठेका नहीं दे पा रही थी.
परियोजना पहले क्यों रुकी थी
यह परियोजना पहले ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से मंजूरी प्राप्त कर चुकी थी। फिर भी, स्टेज टू वन क्लियरेंस न मिलने के कारण काम ठप पड़ा रहा.
स्थिति यह थी कि सभी शर्तें एनएचएआई द्वारा पूरी की जा चुकी थीं, वन विभाग की आपत्तियों का समाधान भी किया गया था, फिर भी बोली प्रक्रिया को छह बार आगे बढ़ाना पड़ा.
आगे की प्रक्रिया
वन मंत्री की स्वीकृति के बाद फाइल को पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय भेजा जाएगा. यहां से संरक्षित वन क्षेत्र की औपचारिक अधिसूचना जारी होगी, जिसके बाद अंतिम स्टेज टू क्लीयरेंस सर्टिफिकेट मिलेगा.
ज़ीरकपुर पंचकूला बाइपास का महत्व
यह सड़क परियोजना ट्राइसिटी के लिए सबसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं में से एक मानी जाती है. कुल लंबाई 19.2 किलोमीटर है और इसकी लागत 1878 करोड़ रुपये है. यह एक आधुनिक छह लेन का बाइपास होगा.
आम लोगों पर प्रभाव
इस परियोजना के पूरा होने से रोजाना लगने वाले ट्रैफिक जाम में कमी आएगी, यात्रा समय घटेगा, ईंधन की बचत होगी और प्रदूषण में कमी आएगी. क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा.
महत्वपूर्ण निर्णय प्रक्रिया
यह सिर्फ एक सड़क परियोजना नहीं है, बल्कि सरकारी निर्णय प्रक्रिया की गति, केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के समन्वय और शहरी बुनियादी ढांचे की प्राथमिकताओं से जुड़ा मामला है. अब जब महीनों बाद फाइल आगे बढ़ी है, तो उम्मीद की जा रही है कि ट्राइसिटी के लोगों को जल्द ही जमीन पर काम शुरू होता दिखाई देगा.