परिजात: औषधीय गुणों से भरपूर फूल और इसके लाभ
परिजात का पौधा: औषधीय गुणों का खजाना
परिजात का पौधा: स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
परिजात, जिसे हरसिंगार या नाइट जैस्मिन के नाम से भी जाना जाता है, न केवल अपनी खूबसूरती और सुगंध के लिए जाना जाता है, बल्कि आयुर्वेद में इसके कई औषधीय उपयोग भी हैं। यह एक ऐसा पौधा है जो धार्मिक, औषधीय और सौंदर्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इसके सफेद फूलों का केंद्र नारंगी होता है और इसकी खुशबू रातभर वातावरण को महकाती है।
परिजात केवल एक सुंदर फूल नहीं है, बल्कि यह एक अनमोल उपहार है जो शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसके औषधीय गुण इसे हर घर के बगीचे में लगाने के लिए उपयुक्त बनाते हैं। बुजुर्गों का मानना है कि जहां परिजात खिलता है, वहां रोग और क्लेश अपने आप दूर हो जाते हैं।
स्वर्ग का वृक्ष: परिजात का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में परिजात का विशेष स्थान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान परिजात वृक्ष का उद्भव हुआ था। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने इसे स्वर्ग से द्वारका लाया था, इसलिए इसे स्वर्ग वृक्ष भी कहा जाता है। कई मंदिरों में परिजात का पौधा लगाया जाता है क्योंकि इसे पवित्र माना जाता है। यह न केवल औषधीय दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि वातावरण को भी शुद्ध करता है। इसकी खुशबू से मन को शांति मिलती है और मानसिक तनाव कम होता है।
परिजात के लाभ
- परिजात के फूल, पत्तियां, छाल और बीज सभी औषधीय दृष्टि से उपयोगी हैं। आयुर्वेद में इसे कल्पवृक्ष कहा गया है, क्योंकि यह कई रोगों को ठीक करने की क्षमता रखता है।
- परिजात की पत्तियों का काढ़ा गठिया, जोड़ों के दर्द और बुखार में बहुत फायदेमंद होता है। इसे सुबह खाली पेट लेने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
- इसके पत्तों में एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। परिजात की पत्तियों का काढ़ा मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू जैसे बुखार में भी राहत देता है।
- शोध में पाया गया है कि परिजात का अर्क ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करता है और लिवर को डिटॉक्स करता है।
- फूलों और पत्तों से बना काढ़ा सर्दी-जुकाम, खांसी और गले की खराश को दूर करता है। इसकी गर्म तासीर ब्रीदिंग सिस्टम को मजबूत बनाती है।
- परिजात के फूलों का अर्क त्वचा पर लगाने से दाग-धब्बे कम होते हैं और त्वचा में निखार आता है। इसकी पत्तियों का तेल बालों में लगाने से बाल मजबूत होते हैं और डैंड्रफ की समस्या भी कम होती है।
परिजात का उपयोग कैसे करें
आयुर्वेदिक चिकित्सक अक्सर परिजात की पत्तियों का काढ़ा सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले लेने की सलाह देते हैं। दो से तीन पत्ते पानी में उबालकर उसका सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, फूलों का चूर्ण भी बनाया जाता है, जो कई दवाओं में उपयोग होता है। परिजात एक प्राकृतिक औषधि है, लेकिन किसी भी हर्बल उपचार को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है। अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।