परिवारों में जेंडर पैटर्न: हार्वर्ड की नई रिसर्च से खुलासा
परिवारों में जेंडर का पैटर्न
कई बार यह देखा गया है कि कुछ परिवारों में लगातार बेटियों का जन्म होता है, जबकि अन्य में पीढ़ियों तक केवल बेटे ही होते हैं। इसे पहले महज संयोग माना जाता था, लेकिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक नए अध्ययन ने इस धारणा को चुनौती दी है। इस शोध के अनुसार, यदि किसी परिवार में पहले से एक जेंडर के बच्चे हैं, तो अगला बच्चा भी उसी जेंडर का होने की संभावना अधिक होती है.
शोध का विवरण
यह अध्ययन अमेरिका में 1956 से 2015 के बीच जन्मी 58,000 से अधिक महिला नर्सों पर किया गया। इस दौरान उनके परिवारों में बच्चों के जेंडर के पैटर्न का विश्लेषण किया गया। शोध में यह पाया गया कि जिन परिवारों में दो बच्चे होते हैं, वहां एक लड़का और एक लड़की होना सामान्य है। लेकिन जब बच्चों की संख्या तीन या उससे अधिक होती है, तो पैटर्न में बदलाव देखा जाता है.
एक जेंडर के सदस्यों का जन्म
शोध में यह भी पाया गया कि जिन परिवारों में पहले से तीन बेटे हैं, वहां अगला बच्चा भी बेटा होने की 61% संभावना होती है। इसी तरह, जिन परिवारों में तीन बेटियां हैं, उनमें अगला बच्चा लड़की होने की 58% संभावना होती है। इस अध्ययन को प्रतिष्ठित जर्नल साइंस एडवांसेज़ में प्रकाशित किया गया है.
विज्ञान का दृष्टिकोण
रिसर्च के वरिष्ठ लेखक जॉर्ज ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा कि यदि कोई दंपति विशेष रूप से लड़का या लड़की पाने की कोशिश कर रहा है और उनके पहले से तीन या चार बच्चे एक ही जेंडर के हैं, तो अगला बच्चा भी उसी जेंडर का हो सकता है। इसका मतलब है कि यदि आपके तीन बेटियां हैं और आप बेटे की उम्मीद कर रहे हैं, तो विज्ञान कहता है कि अगली संतान भी लड़की हो सकती है.
महिला की उम्र का प्रभाव
शोध में यह भी बताया गया कि महिला की उम्र भी जेंडर पैटर्न को प्रभावित करती है। जिन महिलाओं ने 29 वर्ष या उससे अधिक उम्र में पहला बच्चा पैदा किया, उनके बच्चों का जेंडर समान होने की संभावना 13% अधिक थी, उनकी तुलना में जिन्होंने 23 वर्ष की उम्र से पहले मातृत्व शुरू किया। यह अध्ययन यह दर्शाता है कि संतान का जेंडर केवल किस्मत का खेल नहीं है, बल्कि इसके पीछे जैविक और सांख्यिकीय कारण भी हो सकते हैं। इस शोध ने पारिवारिक जेंडर पैटर्न को समझने में मदद की है और इससे जुड़ी कई पुरानी मान्यताओं को चुनौती दी है.