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पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर मनीषीसंत का संदेश

चंडीगढ़ में मनीषीसंत मुनिश्री विनय कुमार जी आलोक ने पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपने आसपास के पेड़ों की देखभाल करनी चाहिए और जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उनका संदेश है कि पेड़ हमारे जीवन के लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितनी हमारी सांसें। जानें उनके विचार और सुझाव इस लेख में।
 

पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प


चंडीगढ़ समाचार: प्राकृतिक आपदाओं के समय ही हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होता है। क्या हम अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा सकते? क्या हम यह संकल्प नहीं कर सकते कि हम अपने आस-पास के पेड़ों की देखभाल करेंगे? आज हम साफ हवा में सांस लेने के लिए तरस रहे हैं।


विकास की अंधी दौड़ में हमने खेती की भूमि और जंगलों को इस कदर नष्ट कर दिया है कि अब कंक्रीट के जंगलों में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। हम अपने हर काम के लिए समय निकालते हैं, तो पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कुछ मिनट क्यों नहीं दे सकते? ये विचार मनीषीसंत मुनिश्री विनय कुमार जी आलोक ने अणुव्रत भवन, सेक्टर-24 के तुलसी सभागार में एक जनसभा के दौरान व्यक्त किए।


उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे प्रकृति की सुंदरता और जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। ये न केवल मनुष्यों बल्कि सभी जीवों के लिए अनमोल हैं। पेड़ हमें फल, फूल, औषधियाँ और जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।


पानी और पेड़-पौधों के कारण उत्पन्न पर्यावरण संकट ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान सहित पूरे उत्तर भारत को प्रभावित किया है। गर्मी और धूल भरे कणों ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।


इस संकट का मुख्य कारण मानव का स्वार्थ है, जो लगातार पानी का दुरुपयोग कर रहा है और पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहा है। अगर हम जल्द ही नहीं संभले, तो परिणाम और भी गंभीर हो सकते हैं।


मनीषीसंत ने अंत में कहा कि पेड़ हमारे जीवन के लिए उतने ही आवश्यक हैं जितनी हमारी सांसें। ये न केवल मनुष्यों के लिए बल्कि सभी जीवों के लिए जीवनदायिनी हैं।


जलवायु परिवर्तन की चिंता अब विभिन्न मंचों पर चर्चा का विषय बन गई है। पेड़-पौधों की रक्षा और पानी के सदुपयोग के लिए एक अभियान चलाने की आवश्यकता है। सरकारों को भी उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।