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पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग के दबाव से एक और अधिकारी ने की आत्महत्या

पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दबाव में एक और ब्लॉक लेवल अधिकारी ने आत्महत्या कर ली। रिंकू तर्फदार ने अपने सुसाइड नोट में चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए SIR प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है। जानें इस घटना के पीछे के कारण और राज्य में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं पर क्या कहा गया है।
 

पश्चिम बंगाल में एक और आत्महत्या की घटना


पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया ने एक और जीवन को समाप्त कर दिया है। नादिया जिले के कृष्णानगर में 52 वर्षीय ब्लॉक लेवल अधिकारी रिंकू तर्फदार ने शनिवार को अपने घर में आत्महत्या कर ली। यह इस सप्ताह की दूसरी और राज्य में तीसरी ऐसी घटना है, जिसमें SIR के दबाव ने एक महिला पैरा-टीचर की जिंदगी को प्रभावित किया।


रिंकू ने अपने सुसाइड नोट में चुनाव आयोग को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया, जिसमें उन्होंने लिखा, "मैं इस अमानवीय दबाव को और सहन नहीं कर सकती। SIR का कार्य समय पर पूरा न होने पर भारी दबाव बनाता है।" परिवार ने भी काम के बोझ और डेडलाइन के तनाव को उसकी मौत का कारण बताया।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए चुनाव आयोग पर तीखा हमला किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "एक और BLO और एक महिला पैरा-टीचर की मौत से मैं स्तब्ध हूं। रिंकू ने अपने नोट में ECI को दोषी ठहराया है। कितनी जानें जाएंगी? SIR के लिए और कितने लोगों को मरना पड़ेगा? यह अब सच में चिंताजनक हो गया है!"


SIR पर रोक लगाने की मांग


ममता ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर SIR पर तुरंत रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह "अनियोजित और जबरन" चलाई जा रही प्रक्रिया है, जो BLOs पर असहनीय बोझ डाल रही है। SIR की पहली फेज 4 नवंबर से शुरू हुई थी और तब से 28 BLOs की मौतें हो चुकी हैं।


पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और जांच शुरू कर दी है। परिवार का कहना है कि रिंकू चापरा विधानसभा क्षेत्र के पार्ट नंबर 201 की BLO थीं और स्वामी विवेकानंद विद्या मंदिर में पार्ट-टाइम टीचर थीं। इससे पहले जलपाईगुड़ी में शांति मुनी ओरां और अन्य जिलों में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। ECI ने अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।