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पाकिस्तान-अफगानिस्तान वार्ता में ड्रोन समझौते का विवाद

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल ही में हुई शांति वार्ता चार दिनों के बाद विफल हो गई। प्रारंभ में पाकिस्तान ने भारत पर आरोप लगाया, लेकिन असली कारण अमेरिका के साथ पाकिस्तान के गुप्त ड्रोन समझौते का खुलासा था। अफगान प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान से स्पष्ट जवाब मांगा, लेकिन वार्ता में अचानक बदलाव आया जब पाकिस्तान ने ड्रोन ऑपरेशन पर नियंत्रण से इनकार किया। इस स्थिति ने सीमा पर तनाव को और बढ़ा दिया है। जानें इस जटिल मुद्दे के बारे में और अधिक जानकारी।
 

नई दिल्ली में वार्ता का विफल होना


नई दिल्ली: इस्तांबुल में आयोजित पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता इस सप्ताह चार दिनों की चर्चा के बाद समाप्त हो गई है। प्रारंभ में पाकिस्तान ने भारत को दोषी ठहराया, लेकिन अफगान मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, वार्ता के असफल होने का मुख्य कारण पाकिस्तान का अमेरिका के साथ गुप्त ड्रोन समझौता था।


पाकिस्तान से स्पष्ट जवाब की मांग

इस खुलासे के बाद, अफगान प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान से स्पष्ट रूप से पूछा कि वह अपनी वायुसीमा में विदेशी ड्रोन उड़ानों को कैसे रोकेगा।


ड्रोन डील पर पाकिस्तान का रुख

TOLO News के अनुसार, अफगान वार्ताकारों ने पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने के लिए लिखित आश्वासन मांगा कि वह अफगान वायुसीमा का उल्लंघन नहीं करेगा और विदेशी ड्रोन उड़ानों को रोकेगा। इसके बदले में, अफगानिस्तान ने सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों, विशेषकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), को रोकने का वादा किया। लेकिन जब पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने स्वीकार किया कि उनके क्षेत्र से 'एक देश' ड्रोन ऑपरेशन चला रहा है, तो वार्ता वहीं रुक गई।


गुप्त समझौते का खुलासा

TOLO News ने बताया कि पाकिस्तान ने पहली बार आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि उसका अमेरिका के साथ एक ड्रोन समझौता है। पाकिस्तान ने कहा कि वह इस समझौते को तोड़ नहीं सकता। यह रक्षा सहयोग ट्रम्प प्रशासन के दौरान तेजी से बढ़ा था। हाल ही में, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर ने व्हाइट हाउस का दौरा किया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका अब बगराम एयरबेस को वापस चाहता है।


पाकिस्तान की स्थिति में बदलाव

अफगान वार्ताकारों ने बताया कि बातचीत के प्रारंभिक चरण में पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल शर्तों पर सहमत था, लेकिन एक फोन कॉल के बाद उनका रुख पूरी तरह बदल गया। माना जा रहा है कि यह कॉल पाकिस्तान की 'हाई कमांड' से आई थी। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि अमेरिकी ड्रोन ऑपरेशन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। कतर और तुर्की के मध्यस्थ इस अचानक बदलाव से चकित रह गए।


भारत पर आरोप और सीमा पर तनाव

बातचीत के विफल होने के बाद, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत पर वार्ता को बाधित करने का आरोप लगाया और कहा कि 'काबुल की डोर दिल्ली से हिलती है।' हालांकि, अफगान मीडिया ने बताया कि पाकिस्तान के रुख में बदलाव उस फोन कॉल के तुरंत बाद आया था। इसके अलावा, सीमा पर सितंबर-अक्टूबर में हुई झड़पों में 200 से अधिक लोगों की मौत के बाद तनाव अभी भी बना हुआ है। अफगान रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब ने चेतावनी दी है कि किसी भी नई वायुसीमा उल्लंघन पर 'जवाबी कार्रवाई' की जाएगी।