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पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच नया रक्षा समझौता: परमाणु क्षमता पर विवाद

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में सऊदी अरब के साथ हुए नए रक्षा समझौते पर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमता सऊदी अरब को उपलब्ध कराई जाएगी, जबकि एक अन्य साक्षात्कार में उन्होंने इस बात से इनकार किया कि परमाणु हथियार इस समझौते का हिस्सा हैं। आसिफ ने यह भी कहा कि यदि पाकिस्तान या सऊदी अरब पर हमला होता है, तो इसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। जानें इस समझौते के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 

पाकिस्तान का रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का बयान

नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमता सऊदी अरब को उपलब्ध कराई जाएगी। जियो टीवी को दिए गए एक साक्षात्कार में जब उनसे पूछा गया कि क्या यह क्षमता सऊदी अरब को दी जाएगी, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमता पहले ही परीक्षणों के दौरान स्थापित हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के पास युद्ध के लिए प्रशिक्षित सेनाएँ हैं और जो क्षमताएँ हैं, वे इस समझौते के तहत सऊदी अरब को दी जाएँगी।


एक अन्य साक्षात्कार में, आसिफ ने यह भी कहा कि परमाणु हथियार इस समझौते का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने रॉयटर्स को बताया कि यह विषय रडार पर नहीं है। डॉन न्यूज़ के अनुसार, विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने इस पर सीधा जवाब देने से परहेज किया, लेकिन कहा कि पाकिस्तान का परमाणु सिद्धांत विकसित होता रहेगा।


संयुक्त रक्षा का वादा

आसिफ ने यह भी कहा कि यदि पाकिस्तान या सऊदी अरब पर हमला होता है, तो इसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा और वे मिलकर जवाब देंगे। इस समझौते को औपचारिक रूप से रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता कहा गया है, जिसे हाल ही में रियाद में हस्ताक्षरित किया गया। यह समझौता किसी भी देश पर हमले की स्थिति में संयुक्त रक्षा का वचन देता है और इसे पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच दशकों पुराने सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है।


इसके अलावा, उप प्रधान मंत्री इशाक डार ने कहा कि इस समझौते के बाद अन्य देशों ने भी पाकिस्तान के साथ इसी तरह की रणनीतिक रक्षा व्यवस्था में रुचि दिखाई है। उन्होंने लंदन में पत्रकारों से कहा कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन इस घटनाक्रम के बाद अन्य देशों ने भी इसी तरह की व्यवस्था की इच्छा व्यक्त की है। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब के साथ इसे अंतिम रूप देने में कई महीने लगे हैं।