पाकिस्तान का ईरान पर हमला: दोगलेपन का पर्दाफाश
पाकिस्तान का ईरान पर हमला
पाकिस्तान का ईरान पर हमला: ईरान और इजरायल के बीच चल रही लड़ाई ने कई देशों की असलियत को उजागर किया है, जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है। शुरुआत में पाकिस्तान ने तेहरान का समर्थन किया, लेकिन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने दोगलेपन का परिचय दिया। अमेरिका के प्रभावशाली हमले के बाद पाकिस्तान के तेवर भी बदल गए। 12वें दिन कुछ ऐसा हुआ कि सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई भी चौंक गए। शहबाज के नए बयान में अमेरिकी डर की झलक दिखाई दे रही है।
पाकिस्तान ने कैसे किया धोखा?
वास्तव में, अमेरिका के भयानक हमले के बाद ईरान की न्यूक्लियर सुविधाएं बर्बाद हो गई थीं। खामेनेई ने कतर में अमेरिकी एयरबेस पर जवाबी हमला किया। जब ईरान संकट में था, तब पाकिस्तान दोस्ती का दिखावा कर रहा था, लेकिन जैसे ही जवाबी कार्रवाई हुई, शहबाज ने अपने सुर बदल दिए। अब उन्हें कतर की चिंता सताने लगी है, और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले इस देश ने सऊदी अरब के साथ मिलकर शांति की वकालत की है। पाकिस्तान के इतिहास को देखते हुए यह प्रतिक्रिया हास्यास्पद है।
भारत ने याद दिलाई थी औकात
7 मई को भारत ने पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 100 से अधिक आतंकियों को खत्म किया गया। पाकिस्तान ने जवाबी हमलों की कई कोशिशें की, लेकिन असफल रहा। जब कुछ नहीं कर पाया, तो शहबाज ने ट्रंप से मदद की गुहार लगाई। अंततः, पाकिस्तान ने भारत के DGMO को फोन करके संघर्ष विराम की मांग की।