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पाकिस्तान का परमाणु हथियार कार्यक्रम: अमेरिका की चिंताएँ बढ़ी

पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों को गुप्त तरीके से बढ़ा रहा है, जिससे अमेरिका की चिंताएँ बढ़ गई हैं। एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर रहा है, जो महाद्वीपीय अमेरिका तक पहुँच सकती है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि यदि पाकिस्तान ICBM हासिल करता है, तो यह वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। जानें इस विषय पर और क्या जानकारी सामने आई है।
 

पाकिस्तान की बढ़ती परमाणु क्षमताएँ

पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों को गुप्त तरीके से बढ़ा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना एक ऐसी मिसाइल विकसित कर रही है जो महाद्वीपीय अमेरिका तक पहुँच सकती है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के हवाले से एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका पाकिस्तान की बढ़ती परमाणु क्षमताओं को लेकर चिंतित है।


रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि पाकिस्तान इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) हासिल कर लेता है, तो यह अमेरिका और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।


अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यदि पाकिस्तान ICBM विकसित करता है, तो वाशिंगटन के पास इसे परमाणु विरोधी मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।


पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम: एक संक्षिप्त इतिहास

पाकिस्तान और उसके परमाणु कार्यक्रम



  • पाकिस्तान का परमाणु हथियार कार्यक्रम 1970 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ।

  • यह कार्यक्रम मुख्य रूप से क्षेत्रीय तनावों, विशेषकर 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद प्रेरित था।

  • 1988 में छह परमाणु परीक्षणों के बाद, पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर परमाणु-सशस्त्र देशों की सूची में शामिल हो गया।

  • इस कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, विशेषकर अमेरिका द्वारा, कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है।

  • हालांकि, पाकिस्तान अपने रुख पर अड़ा रहा है और विभिन्न प्रकार के परमाणु हथियारों का विकास कर रहा है।

  • पाकिस्तान ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) या व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

  • यह कदम उसकी परमाणु नीति पर राष्ट्रीय संप्रभुता को दर्शाता है।

  • वर्तमान में, पाकिस्तान के पास लगभग 165 परमाणु हथियार होने का अनुमान है।