पाकिस्तान का राम मंदिर पर विवादास्पद बयान: अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का सवाल
पाकिस्तान की चिंताएं और भारत का राम मंदिर
हालांकि पाकिस्तान अपने देश के मुद्दों पर ध्यान नहीं देता, लेकिन भारत के मामलों में उसकी टिप्पणी आवश्यक समझी जाती है। अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धार्मिक ध्वजा स्थापित होने के बाद पाकिस्तान ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर चुप रहने वाला पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय अब भारत के अल्पसंख्यकों और मुस्लिम सांस्कृतिक विरासत को खतरे में बताने लगा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि यह घटना भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर दबाव डालने और हिंदुत्व की विचारधारा के तहत मुस्लिम सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को नष्ट करने के प्रयासों को दर्शाती है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद हुआ है, और 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां केसरिया ध्वज फहराया।
विदेश मंत्रालय ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर राम मंदिर का निर्माण और ध्वजारोहण गंभीर मुद्दा है। पाकिस्तान ने भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजरअंदाज करते हुए बाबरी मस्जिद को एक ऐतिहासिक इबादतगाह बताया और 6 दिसंबर 1992 की घटना का उल्लेख किया।
पाकिस्तान ने यह भी कहा कि भारत का सिस्टम अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करता है। वहीं, पाकिस्तान में हिंदुओं के धार्मिक स्थलों का हाल बेहाल है, जैसे शारदा पीठ मंदिर और कराची का जागनाथ मंदिर, जो अब विलुप्त होने के कगार पर हैं।
पाकिस्तान की असमानता
पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों की स्थिति चिंताजनक है, लेकिन वहां की सरकार इस पर चुप है। पाकिस्तान ने भारत में मस्जिदों के खिलाफ खतरे का हवाला देते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह भारत में बढ़ते इस्लामोफोबिया और घृणा आधारित हमलों पर ध्यान दे।
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से भी अपील की है कि वह भारत में इस्लामिक विरासत की सुरक्षा में मदद करे और सभी अल्पसंख्यकों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा करे।