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पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति: ऋण में अभूतपूर्व वृद्धि और बढ़ती गरीबी

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति गंभीर संकट में है, जहाँ सार्वजनिक ऋण अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गया है। वित्त मंत्रालय के सर्वेक्षण के अनुसार, देश की लगभग 45 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। IMF से मिली सहायता के बावजूद, पाकिस्तान को संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से पाकिस्तान की सहायता पर सवाल उठाया है, यह दर्शाते हुए कि आतंकवाद के लिए वैश्विक सहायता का दुरुपयोग हो रहा है।
 

पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियाँ

पाकिस्तान, जो आतंकवादियों को समर्थन देने के लिए जाना जाता है, अब गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। वित्त मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी किए गए आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, देश का सार्वजनिक ऋण अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है, जिससे वित्तीय संकट और आर्थिक अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।


सार्वजनिक ऋण में अभूतपूर्व वृद्धि

मार्च 2025 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान का कुल सार्वजनिक ऋण 76,007 बिलियन पाकिस्तानी रुपये (76 ट्रिलियन रुपये) तक पहुँच गया है, जो भारतीय रुपये में लगभग 23.1 ट्रिलियन रुपये और अमेरिकी डॉलर में लगभग 269.344 बिलियन डॉलर के बराबर है। यह आंकड़ा 2020-21 में 39,860 बिलियन रुपये था, जिससे पिछले चार वर्षों में ऋण दोगुना हो गया है। एक दशक पहले, यह आंकड़ा 17,380 बिलियन रुपये था, जो दर्शाता है कि पिछले दस वर्षों में ऋण में लगभग पांच गुना वृद्धि हुई है।


घरेलू और बाहरी ऋण का विवरण

इस 76,007 बिलियन रुपये के ऋण में से 51,518 बिलियन रुपये घरेलू ऋण और 24,489 बिलियन रुपये बाहरी ऋण के रूप में हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में चेतावनी दी गई है कि "अत्यधिक या खराब तरीके से प्रबंधित कर्ज गंभीर कमज़ोरियाँ पैदा कर सकता है, जैसे कि ब्याज का बोझ बढ़ना और अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा को कमज़ोर कर सकता है।"


आईएमएफ से सहायता

पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की विस्तारित निधि सुविधा के तहत 1.03 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता प्राप्त हुई है। हालाँकि, IMF के साथ चल रहे 7 अरब डॉलर के कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है, जैसे कि कर आधार का विस्तार और सार्वजनिक व्यय में कटौती, ताकि वित्तीय स्थिरता प्राप्त की जा सके।


गरीबी में वृद्धि और सामाजिक संकट

विश्व बैंक के अनुसार, पाकिस्तान की लगभग 45 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है, जबकि 16.5 प्रतिशत लोग अत्यधिक गरीबी में हैं। 2024 में गरीबी दर 25.3 प्रतिशत तक पहुँच गई, जिससे लगभग 13 मिलियन लोग गरीबी में शामिल हो गए। यह वृद्धि कोविड-19, विनाशकारी बाढ़ और उच्च मुद्रास्फीति जैसे आर्थिक और प्राकृतिक झटकों के कारण हुई है।


भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सहायता पर उठाए सवाल

भारत ने IMF और विश्व बैंक के समक्ष यह मामला उठाया है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के उद्देश्यों के लिए वैश्विक सहायता का दुरुपयोग कर रहा है। इससे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है।