पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति: गंभीर संकट और बढ़ती गरीबी
पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियाँ
पाकिस्तान वर्तमान में एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसमें गरीबी, बेरोजगारी, जनसंख्या का दबाव और असमानता जैसी समस्याएं शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की 44.7% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है।हाल के वर्षों में पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आई है, जो देश की आर्थिक चुनौतियों को दर्शाती है। पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-2023 में प्रति व्यक्ति आय में 11.38% की कमी आई, जो 2022 में 1,766 डॉलर से घटकर 2023 में 1,568 डॉलर रह गई।
इस गिरावट के साथ, देश की कुल अर्थव्यवस्था में भी 33.4 बिलियन डॉलर की कमी आई, जिससे यह 375 बिलियन डॉलर से घटकर 341.6 बिलियन डॉलर हो गई।
आर्थिक ठहराव के पीछे मुख्य कारणों में राजनीतिक अस्थिरता, महंगाई, मुद्रा का अवमूल्यन और कमजोर औद्योगिक उत्पादन शामिल हैं।
पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति GDP क्षेत्रीय देशों की तुलना में काफी कम है, जो 2025 में 6,950 डॉलर के आसपास रहने का अनुमान है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच आर्थिक असमानता भी बढ़ती जा रही है।
विश्व बैंक की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 44.7% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है, जो निम्न-मध्यम आय वाले देशों के लिए निर्धारित 4.20 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की सीमा पर आधारित है।
इसके अलावा, 16.5% जनसंख्या, यानी लगभग 39.8 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं, जो 4.20 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की सीमा पर आधारित है।
असद उल्ला चन्ना के लेख में उल्लेख किया गया है कि शहरी क्षेत्रों जैसे कराची, लाहौर और इस्लामाबाद को बेहतर बुनियादी ढांचे और सेवाओं तक पहुंच का लाभ मिलता है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र अविकसित हैं।