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पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों का पुनर्निर्माण: क्या है नई रणनीति?

खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान ने अपने आतंकवादी लॉन्चपैड और प्रशिक्षण केंद्रों को फिर से स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। भारतीय सेना द्वारा मई में किए गए हमलों के बाद, अब ये संगठन नए शिविरों का निर्माण कर रहे हैं। जानें कि ये शिविर कहाँ बन रहे हैं और इसके पीछे की रणनीति क्या है। क्या ये गतिविधियाँ भारत के लिए नई चुनौतियाँ पेश करेंगी? इस लेख में हम इन सभी पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
 

पाकिस्तान का आतंकवादी ढांचा फिर से सक्रिय

हालिया खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान ने उन आतंकवादी लॉन्चपैड और प्रशिक्षण केंद्रों को फिर से स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिन्हें भारतीय सेना ने मई में पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत नष्ट किया था.


आर्थिक और रणनीतिक सहायता

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की सेना, आईएसआई और सरकार, विशेषकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) और उसके आस-पास के क्षेत्रों में इन आतंकवादी ढांचों के पुनर्निर्माण में पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं. उन्हें पर्याप्त वित्तीय संसाधन और रणनीतिक समर्थन प्रदान किया जा रहा है.


भारतीय सेना के हमले

7 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे. इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें बहावलपुर स्थित जैश का मुख्यालय भी शामिल था.


नए शिविरों का निर्माण

सूत्रों का कहना है कि अब ये आतंकवादी संगठन, आईएसआई के सहयोग से नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निकट घने जंगलों में छोटे-छोटे आधुनिक शिविर स्थापित कर रहे हैं, ताकि भारतीय निगरानी और हवाई हमलों से बचा जा सके. इन कैंपों को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि वे थर्मल इमेजिंग, सैटेलाइट ट्रैकिंग और अन्य निगरानी तकनीकों से बच सकें.


शिविरों का पुनर्निर्माण कहाँ हो रहा है?

इन शिविरों का पुनर्निर्माण लूनी, ताइपु पोस्ट, जमीला पोस्ट, फॉरवर्ड कहुटा, छोटा चक और जंगलोरा जैसे क्षेत्रों में किया जा रहा है. इसके अलावा, पीओके के 13 लॉन्चपैड जैसे केल, शारदी, लीपा घाटी, चकोटी और नियाली को भी फिर से तैयार किया जा रहा है.


अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गतिविधियाँ

अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी गतिविधियाँ तेज हो गई हैं. आईएसआई जम्मू सेक्टर में मसरूर बड़ा भाई, चपरार, लूनी और शकरगढ़ में लॉन्चपैड और ड्रोन केंद्र को पुनः सक्रिय कर रही है. एक नई रणनीति के तहत बड़े शिविरों को छोटे कैंपों में विभाजित किया जा रहा है ताकि हमले की स्थिति में नुकसान कम हो.


गोपनीय बैठक की जानकारी

भारतीय एजेंसियों ने यह भी पता लगाया है कि बहावलपुर में हुई एक गोपनीय बैठक में जैश, लश्कर, हिजबुल और टीआरएफ के कमांडर और आईएसआई अधिकारी शामिल थे. इस बैठक में आतंकवादी ढांचे को फिर से खड़ा करने के लिए वित्त और संसाधनों की प्रतिबद्धता जताई गई थी.